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Mahakumbh. महाकुंभ में किन्नर अखाड़ा सबसे ज्यादा चर्चा में रहा. इस चर्चा की वजह बनीं अभिनेत्री ममता कुलकर्णी. महामंडलेश्वर बनने के बाद से ही वे लगातार सुर्खियों में रहीं. उनके महामंडलेश्वर बनने पर साधु-संतों ने विरोध भी किया. आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी चला. इन सबके बीच Lalluram.com ने किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी से खास बात चीत की. इस दौरान उन्होंन खुलकर अपने विचार रखे. साथ ही ममता कुलकर्णी को लेकर भी उन्होंने अपना पक्ष रखा.
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ममता कुलकर्णी और हिमांगी सखी पर हमले के विवादों को लेकर उन्होंने खुलकर अपनी बातें रखीं. ममता कुलकर्णी को लेकर लल्लूराम डॉट कॉम से आचार्य महामंडलेश्वर ने कहा कि वे पहली बार इस मामले को लेकर मीडिया से कह रही हैं. उन्होंने कहा कि ‘आप पहले मीडिया हैं जिनके सामने मैं ये खुलासा कर रही हूं’. उन्होंने कहा कि ममता ने इसलिए पद छोड़ा टक्योंकि वो तकलीफ में आ गई कि हमारी मां को लोग इतना परेशान कर रहे हैं. तो मैं बोली बेटा तुम्हारी मां बड़ी मजबूत है. मैं सब संभाल लूंगी’. श्री यामाई ममतानंद गिरी हमारी महामंडलेश्वर थीं, हैं और रहेंगी.’ ममता के इस्तीफे को लेकर उन्होंने कहा कि गुरु पर बात आई तो ममता ने आहत होकर ऐसा कहा होगा. लेकिन फिर से उन्हें सजाकर, संवारकर रखना मेरा दायित्व है. महामंडलेश्वर बनने बहुत सारे लोग आ रहे हैं. लेकिन मैं फूंक फूंक कर कदम रखती हूं. पद की गरिमा रखने वालों को ही महामंडलेश्वर बनाया जाएगा.
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‘खुद को नोचकर खून निकाल लेना, ड्रामा करना आसान है’
वहीं हिमांगी सखी मामले को लेकर उन्होंने कहा कि ‘हमारे पास वीडियो है, हम समझाने गए थे. हमारे पास वो भी वीडियो है कि किसी ने अगर दो झापड़ मारा भी होगा तो हमने कैसे बचाया है उस व्यक्ति को. पहली बार मैं किसी मीडिया पे बोल रही हूं कि जाते हुए मेरा वीडियो है. क्या में तलवार और फावड़ा ले के गई हूं, मैं गुंडा दिख रही हूं? हमारे पास सारी वीडियो हैं उस व्यक्ति की हंसते हुए बात करते हुए, खुद को नोच कर खून निकाल लेना और बाद में ड्रामा करना ये तो बहुत आसान बात होती है.’ किन्नरों पर टारगेट होना परंपरा है. हम शुरू से ही टारगेट होते आए हैं. आक्रांताओं और ब्रिटिश ने भी टारगेट किया था.
कुंभ किसी दल का नहीं, सनातन का है
उन्होंने कहा कि विपक्ष के भी सभी नेताओं का महाकुंभ आना भी अनिवार्य है. महाकुंभ नकारात्मकता दूर करने के लिए है. सनातनी, क्षमतावान लोगों को आना ही चाहिए. विपक्ष के भी सभी नेताओं को आना अनिवार्य है. कुम्भ किसी दल का नहीं, सनातन का है. महाभारत का युद्ध नहीं है, ये महाकुंभ है.
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