नई दिल्ली। देश में कोरोना महामारी के विकराल होते स्वरूप को ध्यान में रखते हुए पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर पांच सुझाव दिए हैं, जिससे देश में इस महामारी पर काबू पाने में मदद मिलेगी. इसमें टीकाकरण से लेकर राज्यों को छूट देने और वैक्सीन निर्माता निजी कंपनियों को आर्थिक मदद देने की बात कही है.
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने कहा है कि महामारी को काबू करने के लिए टीकाकरण महत्वपूर्ण है. लेकिन कितने लोगों को टीका लगा है, इस पर ध्यान देने की बजाए इस बात पर ध्यान देने को कहा है कि आबादी के कितने फीसदी लोगों को टीका लगा है. अपने पहले सुझाव में डॉ. सिंह ने कहा कि सबसे पहले सरकार को अगले छह महीने के लिए टीकों के दिए गए ऑर्डर, किस तरह से टीके राज्यों के बीच वितरित होंगे, इस बारे में बताना चाहिए.
दूसरा सुझाव देते हुए उन्होंने कहा कि ‘सरकार को यह बताना चाहिए कि इन संभावित टीकों का वितरण राज्यों के बीच किस तरह पारदर्शी फॉर्मूले के आधार पर किया जाएगा. केंद्र सरकार 10 फीसदी आपातकालीन जरूरत के लिए रख सकती है, लेकिन बाकी का राज्यों को साफ सिग्नल मिले ताकि वे उस तरह टीकाकरण की योजना बना सकें.
तीसरे सुझाव में कहा कि राज्यों को यह छूट दी जाए कि वे फ्रंटलाइन वर्कर्स की कैटिगिरी तय करें, जिन्हें 45 साल से कम उम्र के बावजूद टीका लगाया जा सके. उदाहरण के तौर पर राज्य स्कूल टीचर, बस, थ्री व्हीलर और टैक्सी ड्राइवर्स, म्यूनिसिपल और पंचायत कर्मियों और वकीलों को टीका लगाना चाहेंगे. 45 साल से कम उम्र के बावजूद इन्हें टीका लगाया जा सकता है.
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पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में भारत सबसे बड़े वैक्सीन उत्पादक के रूप में उभरा है. अधिकांश क्षमता निजी क्षेत्र में हैं. उन्होंने चौथे सुझाव के तौर पर जनस्वास्थ्य के लिए मौजूदा आपात स्थिति में भारत सरकार को वैक्सीन उत्पादकों को आर्थिक मदद देने को कहा, जिससे वे तेजी से मैन्युफैक्चरिंग क्षमता का विस्तार कर सकें.
पांचवें सुझाव के तौर पर पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने कहा कि वैक्सीन के घरेलू आपूर्तिकर्ता सीमित हैं, इसलिए ऐसे किसी भी टीके जिसे यूरोपीय मेडिकल एजेंसी या यूएसएफडीए ने मंजूरी दी हो, देश में आयात की मंजूरी देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इसके लिए देश में ट्रायल के बिना ही उन्हें मंजूरी देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि आपात स्थिति में यह छूट न्यायोजित है.
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