रायपुर. अब तक जिस डिवाइस क्लोजर तकनीक से दिल का छेद बंद करने के लिए डॉक्टर चंडीगढ़ से आते थे, अब वहीं तकनीक से मोवा स्थित श्री बालाजी हॉस्पिटल में कार्डियोलॉजिस्ट डॉ निखिल मोतीरमानी ऑपरेशन कर रहे है.

 डॉ मोतीरमानी ने बताया कि 27 वर्षीय मरीज अपने दिल के छेद से काफी परेशान थी. मरीज की शादी होने वाली थी, इसलिए उसे डर था कि दिल के छेद की वजह से उसे कोई दिक्कत न हो. लेकिन बिना छाती खोले हार्ट के इस ऑपरेशन के बाद मरीज पूरी तरह स्वस्थ्य है और ऑपरेशन के 1 दिन बाद ही वे अस्पताल से डिस्चार्ज हो गई.

एंजियोग्राफी जैसे की सर्जरी

कार्डियोलॉजिस्ट डॉ निखिल मोतीरमानी बताते है कि डिवाइस क्लोजर तकनीक से मरीज के दिल का छेद आसानी से बंद किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि उक्त मरीज के दिल में 14 एमएम का छेद था. इसलिए डिवाइस क्लोजर तकनीक से पैर की नसों के पास से कुछ हिस्सा निकालकर दिल के छेद को बंद किया गया. ऑपरेशन के बाद मरीज पूरी तरह स्वस्थ्य है.

कैसे हो जाता है दिल में छेद

सामान्यत: जन्म के कुछ महीने बाद हृदय की दोनों मुख्य धमनियों के बीच का मार्ग स्वत: बंद हो जाता है, लेकिन कुछ केसों में ऐसा नहीं होता और वह मार्ग खुला रह जाता है, जिसे एएसडी यानी एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट कहते हैं. यह एक इंटरवेंशन प्रोसीजर है अर्थात् नसों के अंदर ही अंदर की जाने वाली प्रक्रिया, जिसमें जांघ की नस द्वारा बिना चीरे के दिल का छेद बंद कर दिया जाता है और मरीज दूसरे दिन से ही अपने काम पर जा सकता है.