रायपुर-  सूबे के मुखिया डॉ. रमन सिंह ने दावा किया है कि छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति के विकास के लिए जितनी योजनाएं छत्तीसगढ़ में चल रही हैे, उतनी योजनाएं देश के किसी और राज्य में नहीं चल सकती. उन्होंने कहा कि- आने वाले समय में छत्तीसगढ़ देश के सबसे विकसित राज्यों में पहले, दूसरे और तीसरे नम्बर पर होगा. उन्होंने उम्मीद जताई है कि आने समय में प्रदेश की जनता का समर्थन, सहयोग और साथ मिलेगा…
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की सरकार के 5000 दिन पूर्ण होने के मौके पर आज राजधानी रायपुर में प्रदेश की प्राथमिक लघु वनोपज सहकारी समितियों और वन प्रबंधन समितियों का महासम्मेलन ’वन मड़ई 2017’ का आयोजन किया गया. प्रदेश भर की वन प्रबंधन समितियां और वनोपज सहकारी समितियां इस सम्मेलन में शिरकत करने पहुंची. वन प्रबंधन और वनोपज सहकारी समितियों का ये पहला बडा सम्मेलन रहा. महासम्मेलन ’वन मड़ई 2017’ छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ और प्रदेश सरकार के वन विभाग द्वारा आयोजित किया गया.
सम्मेलन के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा- बस्तर से सरगुजा और बलरामपुर से बीजापुर तक जो छत्तीसगढ़ है, उस छत्तीसगढ़ को बनाने में प्रदेश की जनता की मेहनत है. उन्होंने कहा बीते 17 सालों की यात्रा में प्रदेश ने विकास की दिशा में करवट बदली है. छत्तीसगढ़ का आधा हिस्सा वनांच्छादित है. हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता के आशीर्वाद, सहयोग और समर्थन की वजह से डाॅ.रमन सिंह ने पांच हजार दिन पूरे किए हैं. सीएम ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने राज्य का निर्माण किया. बीजेपी सरकार ने प्रदेश में 11 जिलों का निर्माण किया, ताकि विकास को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाया जा सके.

पहले अकाल पड़ता था, खाने की दिक्कत थी- डाॅ.रमन सिंह

सम्मेलन में डा.रमन सिंह ने कहा कि एक वक्त था, जब छत्तीसगढ़ में अकाल पड़ता था. अवर्षा की वजह से सूखे की स्थिति बनी होती थी. अवर्षा से वन क्षेत्र प्रभावित होते थे. वन क्षेत्रों में खाने की दिक्कत थी. बीजेपी सरकार आने के बाद हालात बदले. सबसे पहले सरकार ने भूख की चिंता की औऱ मुख्यमंत्री खाद्यान्न योजना की शुरूआत की. इन 14 सालों में ऊपर वाले की कृपा रही कि प्रदेश में अकाल की छाया नहीं पड़ी. 2001 में छत्तीसगढ़ में 450 रूपए प्रति मानक बोरा तेंदूपत्ता संग्राहकों को मिलता था. आज 1800 रूपए दिया जा रहा है.

अब पैर काटने की नौबत नहीं आती- रमन

सीएम ने कहा कि बीजेपी सरकार ने चरण पादुका वितरण योजना शुरू की, तब लोग मजाक उड़ाते थे. लोग कहते थे कि मेरा मजाक उड़ाते थे. कहते थे कि वनवासी जूते नहीं पहनता. लेकिन इस योजना को वनवासी क्षेत्रों में अच्छा प्रतिसाद मिला. आज करीब 13 लाख चरण पादुका का वितरण किया जा रहा है. जूता नहीं पहनने से अल्सर हो जाता था, पैर काटने की नौबत आ जाती थी, लेकिन अब पैर काटने की घटना नहीं होती. मुख्यमंत्री ने कहा कि वनवासी क्षेत्रों के बच्चों को आगे बढ़ाने सरकार ने घोषणा की थी कि वनोपज संग्राहकों के बच्चों को नर्सिंग, मेडिकल, इंजीनियरिंग काॅलेज में पढ़ाई का खर्च शत-प्रतिशत सरकार उठाएगी. आज हर साल 200 से ज्यादा बच्चों का प्रवेश हो रहा है. वनवासी क्षेत्रों में अधोसरंचना के क्षेत्र में भी तेजी से काम हुआ है.
सीएम ने कहा कि- मैं यह दावे के साथ कह सकता हूं कि वह दिन दूर नहीं, जब वनाचंलों के बच्चे आईएएस-आईपीएस बनकर काम करेंगे.
सम्मेलन के दौरान विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल ने कहा कि आज हम वन मड़ई के लिए इक्कठा हुए है. मड़ई का मतलब होता है मेला. मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के 5 हजार दिन पूरे होने के मौके पर इस मड़ई का आयोजन किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण अटल बिहारी बाजपेयी जी ने किया था. उनके नेतृत्व में छत्तीसगढ़ हर क्षेत्र में नम्बर 01 हो गया है. वन मंत्री महेश गागड़ा ने कहा कि आज मुख्यमंत्री के कार्यकाल के 5 हजार दिन पूरे होने पर ये भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. मुख्यमंत्री की प्रेरणा से वन विभाग सतत विकास की ओर बढ़ रहा है. हमारा थीम है बीज विश्वास का 5 हजार दिन विकास का.

तीन दिनों तक चलेगा मड़ई

इस अवसर पर वन संरक्षण और संवर्धन में सराहनीय योगदान के लिए प्रदेश के विभिन्न जिलों की सर्वश्रेष्ठ संयुक्त वन प्रबंधन समितियों, लघु वनोपज समितियों, वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को पुरस्कृत किया गया.  वन मड़ई में प्रदर्शनी के जरिए वन विभाग की विभिन्न योजनाओं जैसे हरियाली प्रसार, संयुक्त वन प्रबंधन, वन अधिकार मान्यता पत्र वितरण, लघु वनोपज संग्रहण, वन्य प्राणी प्रबंधन, ईको टूरिज्म, वानिकी अनुसंधान, पर्यावरण वानिकी की जानकारी दी जा रही है. सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान प्रदेश की लोक कलाओं की संस्कृति की झलक देखने को मिली. बांस वादन, जात्रा, ढोल, मारिया ढोल, मुंडा बाजा, कबीर सम्प्रदाय मंजीरा वाद- झांझ, सितारा, जशपुरिया मांदर, लोहाटी बाजा जैसे प्रदेश के वनांचल क्षेत्रों के कई वाद्य यंत्रों का प्रदर्शन किया गया.