नई दिल्ली। भारत की अंडरवाटर सैन्य क्षमताओं को बढ़ावा देने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने पुणे स्थित रक्षा स्टार्टअप की मदद से अपनी तरह का पहला अंडरवाटर-लॉन्च मानव रहित हवाई वाहन (ULUAV) विकसित करने का फैसला किया है, जिसे पनडुब्बी से लॉन्च किया जाएगा. इस महत्वकांक्षी योजना डीआरडीओ ने सागर डिफेंस इंजीनियरिंग से अनुबंध किया है. इसे भी पढ़ें : Lalluram Special : सुपेबेड़ा बनने की कगार पर गरियाबंद जिले का एक और गांव, फ्लोराइड युक्त पानी का बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक दिख रहा असर…

डीआरडीओ की रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (डीआरडीएल) सागर डिफेंस की मदद करेगी, जिसने पहले भारतीय नौसेना के लिए समुद्री स्पॉटर ड्रोन विकसित किया था. सागर डिफेंस के साथ समझौते पर डीआरडीएल के निदेशक डॉ जीएएस मूर्ति और भारतीय नौसेना के अधिकारियों की मौजूदगी में हस्ताक्षर किए गए.

एक ULUAV में चलती पनडुब्बी से जल्दी, सुरक्षित और स्वायत्त रूप से तैनात करने की क्षमता होगी. इसमें उच्च धीरज और लंबी दूरी होगी, जिससे इसे एक बड़ा आश्चर्य तत्व लाभ मिलेगा. यह विवेकपूर्ण निगरानी मिशनों को सक्षम करेगा, जिससे पनडुब्बियों को उनकी उपस्थिति का खुलासा किए बिना संभावित खतरों की निगरानी करने की अनुमति मिलेगी.

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सागर डिफेंस के बिजनेस डेवलपमेंट के निदेशक और उपाध्यक्ष मृदुल बब्बर ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, “यह यूएलयूएवी तकनीक बहुत उन्नत होगी. दुनिया में केवल कुछ ही देशों के पास यूएलयूएवी है, लेकिन वे बहुत उन्नत नहीं हैं. जैसे अमेरिका के यूएलयूएवी की रेंज 7 किलोमीटर है और इसकी क्षमता 30 मिनट है.

हालांकि, डीआरडीओ ने हमें एक ऐसा यूएलयूएवी विकसित करने का काम सौंपा है, जिसकी क्षमता एक घंटे से अधिक होगी और इसकी रेंज 20 किलोमीटर से अधिक होगी. और हम भारत में इस तकनीक को विकसित करने वाले पहले व्यक्ति हैं. यह यूएलयूएवी समुद्री और पानी के नीचे के डोमेन जागरूकता के लिए होगा और इसका उपयोग डेटा एकत्र करने के लिए किया जाएगा.” उन्होंने कहा कि इसे बढ़ाया जा सकता है और भविष्य में इस पर हथियार भी लगाए जा सकते हैं.