बलौदाबाजार। राज्य सरकार के महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक वन अधिकार पत्र से आदिवासियों की जीवन शैली में काफी बदलाव आया हैं. प्रकृति को सहजतें हुए खेती किसानी के कार्य में लगें हुए हैं. ऐसे ही एक कृषक आदिवासी परिवार जो कई पीढ़ियों से काबिज कसडोल विकासखण्ड़ के ग्राम थरगांव निवासी महेश राम बरिहा ने बताया कि मेरे पास जमीन का कागजात नहीं होने से हमेशा अपनी काबिज़ जमीन को छोड़ने का डर सताता रहता था. ना जाने कब हमें अपनी ही जमीन से बेदखल कर दे पर राज्य सरकार के द्वारा हमें काबिज़ भूमि 3.2 एकड़ का वन अधिकार पत्र मिला हैं. जिससे अब हमें जमीन का मालिकाना हक मिल गया हैं. यह ना केवल मेरा सपना बल्कि यह हमारे पुरखों का देखा हुआ सपना हैं. जो आज वन अधिकार पत्र के माध्यम से पूरा हुआ है.

महेश राम ने आगे बताया कि मैं अलग मौसम में अलग अलग फसल लेता हूं. जिसमें धान,गेंहू एवं उड़द शामिल हैं. फसलों में धान के फसल को 25 बोनस सौ के साथ प्रति क्विंटल में बेचना दुगुनी ख़ुशी प्रदान करता हैं. इस साल बोनस के पैसे से अपनी ही जमीन पर एक बोर भी करवाया हूं ताकि पानी की समस्या ना हो.  जमीन का पट्टा मिलने से मुझे अभी खरीफ फसल के लिये सहकारी सोसायटी से खाद् एवं बीज मिल गया है.

ऐसे ही कसडोल विकासखण्ड के ग्राम राजादेवरी निवासी झूमक लाल बंदे ने बताया की मुझें 3 एकड़ काबिज़ भूमि का वन अधिकार मिला हैं. इस जमीन पर मैं धान एवं सब्जी की खेती करता हूं यह ही मेरा आय का प्रमुख स्रोत हैं. वन अधिकार पत्र मिलने से जमीन छोड़ने एवं किसी के द्वारा भगाने का डर दूर हो गया हैं. साथ ही किसानी कार्य मे सोसायटी खाद एवं बीज प्राप्त करनें में समस्या नहीं होती हैं। साथ ही अब निश्चिंत होकर अपने परिवार के साथ जीवन यापन कर रहा हूं.