अजयारविंद नामदेव, शहडोल। आधुनिकता के इस युग में जहां लोग चांद में घर बनाने की तैयारी में है तो वहीं मध्य प्रदेश के आदिवासी शहडोल जिले में पुल निर्माण नहीं होने से 50 से अधिक गांव के लोग नरकीय जीवन जीने को मजबूर है। PMGSY की लापरवाही के चलते आधर में लटका पुल लोगों को नसीब नहीं हो रहा है।
पूरा मामला
आलम ये है कि गांव के लोगों को बरूहा नदी (नाला) के तेज धार के बीच नदी पार करके आना-जाना पड़ रहा है, सबसे से ज्यादा दुर्दशा स्कूली छात्रों की है,जो रोजान अपनी जान हथेली में लेकर नदी के तेज धार पार कर शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं। बच्चों का कहना है कि उन्हें डर लगता है नदी पार करते समय कहीं किसी दिन वो इस नदी पार करते समय बह न जाए। ऐसा कोई दिन नहीं जाता जिस दिन बच्चे नदी पार करते समय भीगते न हो और उनका यूनिफॉर्म और कॉपी किताब गीली ना होती हो। PMGSY की लापरवाही के चलते आधर में लटका पुल लोगों को नसीब नहीं हो रहा। जिससे रोजाना ग्रामीण युवा स्कूली बच्चे जान जोखी में डालकर नदी पार कर रहे और प्रशासन इस इंतजार में है की कोई बड़ी घटना हो जिसके बाद इस आधर में लटके पुल का निर्माण कराए।
50 से अधिक गांव के लोगों की जान का खतरा
आदिवासी बाहुल्य शहडोल जिले के जनपद पंचायत सोहागपुर अंतर्गत ग्राम पंचायत मंडवा में बहने वाली बरुहा नदी ( नाला ) लगभग 50 से अधिक गांव के लोगों के जान का खतरा बना हुआ है। आलम ये है की पुल निर्माण नहीं होने से गांव के लोग जान जोखिम में डालकर नदी पार कर इस और से उस और जाते है। बच्चों के परिजन व ग्रामीण खुद की जान जोखिम में डालकर बच्चों को स्कूल भेजने के लिए नदी पार कराते है। ऐसा कोई दिन नहीं जाता जिस दिन बच्चे नदी पार करते समय भीगते न हो और उनका यूनिफॉर्म और कॉपी किताब गीली ना होती हो।
कहने को तो PMGSY विभाग द्वारा एक पुल निर्माण करा रहा, लेकिन विभाग की दावपेच के चलते पिछले एक साल से पुल अधूरा बना बना पड़ा है, पुल की सौगात मिलने के बाद भी ग्रामीणों को पुल की सुविधा नसीब नहीं हो रही है,जिससे आज भी लोग रोजाना जान जोखिम में डालकर अपने जीवन का सफर तय कर रहे है।
वहीं इस पुरे मामले में PMGSY के जीएमएस के मौर्य का कहना है की पुल का अलयामेंट का इशू होने व ठेकेदार की लापरवाही के चलते पुल निर्माण नहीं हो सका है। जल्द ही पुल निर्माण कर कराया जाएगा।
आजादी के बाद भी नहीं मिली ‘आजादी’
आजादी के 75 साल बाद भी बच्चों के स्कूल जाने के लिए नदी पर पुल या अन्य कोई संसाधन सरकार नहीं बना पाई है। छोटे-छोटे बच्चों को स्कूल पहुंचने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सैकड़ों ऐसे बच्चे हैं जो अपनी जान जोखिम में डालकर गांव से स्कूल जाते हैं। छात्रों के परिजन उन्हें उफनती नदी में उतार कर नदी पार कराते हैं। मंडवा गांव में इस समस्या से छात्र ही नहीं बल्कि कई किसानों को भी काफी समस्या उठानी पढ़ रही है। जिले में आज भी पुल व सड़क नही होने से ग्रामीण व मासूम बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार कर शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर है, और शासन प्रशासन किसी बड़ी दुर्घटना के इंतजार में पुल निर्माण नहीं करा रहा है।
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