नई दिल्ली. नशे के सौदागरों पर नकेल कसने के लिए पुलिस लगातार अभियान चलाती है. इसी का ही परिणाम है कि तस्कर पुलिस की धरपकड़ से बचने के लिए तस्करी के पुराने तरीके छोड़कर पांच ऐप का सहारा ले रहे हैं.

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी), दिल्ली पुलिस की नारकोटिक्स यूनिट और अन्य एजेंसियों की कार्रवाई के आंकड़ों के विश्लेषण से तस्करों द्वारा इस्तेमाल की जा रही पांच ऐप, लेन-देन के पांच तरीकों और पांच रूट का खुलासा हुआ है.

ऑर्डर देने के लिए इन पांच ऐप का इस्तेमाल नशे के मकड़जाल में युवाओं को फंसाने वाले तस्करों ने इन दिनों चैट एप्लिकेशन को तस्करी का मुख्य जरिया बना लिया है. खास बात यह है कि चैट एप्लिकेशन के जरिये अंतरराष्ट्रीय तस्करों के साथ मिलकर भारतीय तस्कर नशे का काला कारोबार चला रहे हैं. नशे का ऑर्डर देने और सप्लाई तक पूरा काम चैट एप्लिकेशन पर ही हो रहा है. इसमें मुख्यत विकर, टोर ब्राउजर, टेलीग्राम, सिग्नल और इंस्टाग्राम ऐप का इस्तेमाल किए जाने का खुलासा पुलिस ने किया है. इन ऐप पर ग्रुप बनाकर तस्कर अपना खेल चला रहे हैं.

रकम लेनदेन के तरीके बीते दिनों एनसीबी के हत्थे चढ़े आरोपियों के मोबाइल की जांच करने में कई ऐसी आईडी का पता चला है, जिनके जरिए ग्राहकों को ड्रग्स के पार्सल भेजे जाते थे. यह भी पता चला है कि तस्कर रकम की लेनदेन के लिए क्रिप्टो करेंसी, हवाला, रकम के बदले माल सप्लाई, पेटीएम और यूपीआई आदि सहारा लेते हैं. एजेंसियों से मनीट्रेल छिपाने के लिए डार्कनेट आधारित अन्य दूसरे सुरक्षित तरीकों से भुगतान किए जाने का भी खुलासा हुआ है.

क्या कर रही हैं एजेंसियां दिल्ली पुलिस, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी), ईडी और साइबर इंटेलीजेंस यूनिट तस्करों से जुड़ीं गोपनीय सूचनाएं एक-दूसरे से साझा कर इंटरनेट आधारित विदेशी नेटवर्क और वर्चुअल करेंसी के जरिये ड्रग्स तस्करी करने वालों पर लगाम लगा रही हैं.

दरअसल, एक एजेंसी इंटरनेशनल तस्करी गिरोह के बारे में जानकारी जुटाती है और दूसरी एजेंसी गिरोह लोगों से कैसे संपर्क करता है, इस संबंध में सूचनाएं एकत्र करती है. वहीं, तीसरी एजेंसी लेन-देन (ट्रांजेक्शन) के नेटवर्क की डिटेल हासिल करने में जुटी है.