पुरषोत्तम पात्र गरियाबंद. जिले के देवभोग के सिनापली में होली का जश्न पूरे छत्तीसगढ़ में एक अलग पहचान बनाए हुए है, यहां होली मनाने लोग दूर दूर के गांव  से आते हैं, करीब 5 से दस हजार की जनसंख्या में लोग होली के उत्सव में शामिल होने पहुंचते हैं. गौरतबल हो कि 30 साल पहले सिनापाली के ग्रामीणों ने सूखी होली मनाने का निर्णय लिया था तो लोग मजाक उड़ाया करते थे लेकिन आज लोग हजारों की संख्या में होली खेलने यहां जुटते हैं.

चार दिन पहले धार्मिक आयोजन से होती है सूखी होली की शुरूआत

सिनापाली की सूखी होली इलाके भर के लिये अब एक मिशाल बन चुकी है,सोमवार को नाम जाप यज्ञ के साथ ही आयोजन का शुभारंभ हो चुका है.20 से ज्यादा कीर्तन मंडलियों ने नाम जाप करना शुरू कर दिया है.मंडली में महिलाओं की भी टोली है जिनका नृत्य आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.गांव के प्रमुख रोहित पटेल ने बताया कि होली के दिन सुबह राधा कृष्ण के जीवंत झांकी के साथ आयोजन स्थल पर पहले दही हांडी फोड़ने की रस्म पूरी होगी.फिर सभी एक साथ मिल कर सूखी होली खेलेंगे.वरिष्ठ राजेन्द अग्रवाल,कामो राम कश्यप,मोहन नायक ने बताया कि होली खेलने देवभोग,मैनपुर इलाके के 30 से ज्यादा गांव के सैकड़ो लोगों के अलावा सीमावर्ती ओड़िसा से भारी संख्या में लोग जुटते हैं.स्थानीय लोगों ने बताया कि यहां की होली सुरक्षित व सात्विक होने के कारण महिलाएं भी बेझिझक होली खेलने जुटती हैं. बुजुर्गों ने कहा कि 30 साल पहले जिस भावना को जागृत करने इस सूखी होली की नींव रखी गई अब वह साकार होते दिख रही है.इस बार की होली में करीब 10 हजार से ज्यादा लोग भंडारे में शामिल होंगे.

बता दें कि होली पूरी तरह सात्विक तरीके से मनाई जाती है तभी तो सप्ताह भर पहले से गांव में मुनादी कर मांस-मदिरा पर पाबंदी लगा दी जाती है,नियम तोड़ने पर जुर्माने का भी प्रावधान होता है,पर आज तक किसी ने नियम नही तोड़ा है.खास कर गांव के युवा वर्ग ने बुजुर्गों की इस परंपरा को स्वीकार कर लिया है.

बता दें कि आज से करीब 30 साल पहले सिनापाली में होली के दिन,रंग उड़ेलने को लेकर जम कर विवाद हुआ, विवाद में 6 लोगो को थाने फिर कोर्ट के चक्कर लगाने पड़े थे.इस घटना से गांव में सूखी होली की परंपरा शुरू हो गई. आज पूरे गांव में सिर्फ सूखी होली ही खेली जाती है.