पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबन्द। प्री मानसून बारिश के साथ ही खेतों में जुताई का काम शुरू हो गया है. समय के साथ हल से ट्रैक्टर में पहुंच चुके किसानों के लिए ऐसे समय में डीजल की किल्लत भारी पड़ रही है. डिपों से सप्लाई बाधित होने की वजह से आए दिन पंपों में ड्राई की स्थिति बन रही है. ऐसे में किसानों के लिए गंभीर समस्या पैदा हो गई है.

देवभोग व गोहरापदर जिला सहकारी समिति क्षेत्र में इस साल 47 हजार हेक्टेयर रकबे पर कृषि कार्य हो रहा है. प्री मानसून के चलते सप्ताह भर पहले से खेतों की जुताई कार्य शुरू हो गई है. क्षेत्र के करीबन 35 हजार हेक्टेयर रकबे पर 300 ट्रैक्टरों से जुताई हो रही है. रोजाना इन ट्रैक्टरों को 60 हजार लीटर से ज्यादा डीजल की आवश्यकता हो रही है. इलाके में कुल 7 पेट्रोल पंप है, लेकिन ये सातों पेट्रोल पंप मिलकर भी रोजाना जुताई लायक डीजल की पूर्ति नहीं कर पा रहे हैं.

देशव्यापी डीजल संकट का साफ असर इलाके में भी देखने को मिल रहा है. अमलीपदर स्थित एसपी अंशिका पम्प 15 जून से ड्राय पड़ा था, आज सूबह 11 बजे 10 हजार लीटर की एक खेप पहुंची जो 4 घण्टे में खत्म हो गई. संचालक विकास पांडेय ने बताया कि पहले रोजाना लोड मिल जाया करता था, अब 4 दिन में एक बार लोड मिलता है. सीजन में रोजाना 15 से 20 हजार लीटर से ज्यादा की खपत है, जिसकी पूर्ति नहीं कर पा रही है. डीजल के लिए आधी रात से लोगों की भीड़ पंप पर जमा थी, सुबह लोड पहुंचते ही चंद घंटों में खाली हो गया.

दरअसल, अमलीपदर में मौजूद इंडियन ऑयल के पम्प भी ड्राय हो गए हैं. बैंकिंग लिंक फैल होने के कारण मनी ट्रांजेक्शन में दिक्कत आने के कारण यह पम्प आज भी ड्राय था. देर रात तक डीजल स्टॉक पहुंचने की बात कही जा रही है. साफ है कि 7 पंप मिलाकर जरूरत का आधा बमुश्किल 30 हजार लीटर डीजल ही दे पा रहे हैं, ऐसे में डीजल का संकट किसानों के लिए मुसीबत बन कर उभरा है.

हालांकि, इस समस्या पर जिला खाद्य अधिकारी जन्मजय नायक इत्तेफाक नहीं रखते. उनका मानना है कि कुछ जगह पर बैंकिंग प्राबल्म के चलते कुछ समय के लिए ड्राय था. सभी जगह आपात स्थिति के लिए रिजर्व स्टॉक मौजूद रहता है.

जिसके पास डीजल उसका पहले काम

डीजल की किल्लत को देखते हुए ट्रेक्टर चालकों ने भी जुताई के लिए नया फंडा तैयार कर लिया. जुताई के लिए 1200 रुपए प्रति घण्टा तय है, लेकिन उसी के खेत की जुताई होगी, जिसके पास डीजल है. ऐसे में किसानों को जुताई के पहले डीजल का खुद बंदोबस्त करना पड़ रहा है. किसान जयमल यादव, भीम पाड़े, ओम जैन कहते हैं कि डीजल की किल्लत की ऐसी स्थिति कभी नहीं बनी थी. आज क्षेत्र में कई पम्प खुल गए है,. लेकिन पर्याप्त सप्लाई नहीं होने से हम किसानों को डीजल के लिए रतजगा करना पड़ रहा है.

पम्पों ने तय किया लिमिट

दो पम्पों के ड्राय होने का असर सिहारलिटी, गोहरापदर व देवभोग में मौजूद पम्प पर दिखा. किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए यहां लिमिट तय कर दिया गया. खपत के अनुपात में सप्लाई कम हुई तो संचालकों ने भी किसानों के फेवर में नजर आए. भारी मात्रा में डीजल लेने वाले वाहनों को आगे जाने तक सीमित मात्रा में डीजल दे रहे हैं. पम्प आने वाले कोई भी किसान खाली न जाये इसलिए एक किसान को 10 से 15 लीटर डीजल दे रहे हैं. प्रायः सभी पम्पों में डब्बा लेकर डीजल लेने वालों की लंबी कतार देखने को मिल रही है.

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