सुप्रिया पांडेय, रायपुर। दूधाधारी मठ से दशहरा के अवसर पर बालाजी की पालकी निकाली जाएगी. लेकिन इस बार कोरोना के चलते पालकी में ज्यादा लोग शामिल नहीं होंगे. केवल पंडितों के द्वारा ही रस्म निभाई जाएगी. कोरोना के चलते मेला भी आयोजित नहीं किया जाएगा. रामलीला का भी आयोजन नहीं किया जाएगा. बता दें कि दूधाधारी मठ में पालकी निकालने की 200 साल पुरानी परंपरा है. जो इस साल भी कायम रहेगी.

दशहरा पर्व को लेकर महंत रामसुंदर दास ने बताया कि जब से दूधाधारी मठ की स्थापना हुई है, तभी से प्रत्येक वर्ष भव्य विजयदशमी का त्योहार मनाया जाता रहा है. रायपुर में पहले दशहरा मैदान के रूप में रावणभांठा को ही जाना जाता था. पूर्व में आचार्यों ने बहुत विशालकाय रावण का पुतला बनाया हुआ है, यहां से बालाजी का विजय शोभायात्रा निकाली जाती थी. इस साल वैश्विक महामारी की वजह से सादगी पूर्ण ढंग से दशहरा का कार्यक्रम किया जाएगा. भगवान बालाजी के साथ ही भगवान श्री राम का विशेष स्वर्ण श्रृंगार का कराया जाएगा और विधिवत पूजा-अर्चना होगी.

प्राचीन काल से ये परंपरा चली आ रही है इस दिन अस्त्रों की पूजा भी की जाती है दोपहर 3 बजे भगवान बालाजी विजय यात्रा पर निकलेंगे, और रावणभांठा में जो पहले से रावण बना हुआ है उसका प्रतीकात्मक वध किया जाएगा और पुनः भगवान दूधाधारी मठ में आएंगे. इस समय हम लोग सांकेतिक और बहुत ही साधारण रूप से इस उत्सव को मनाएंगे, क्योंकि वैश्विक महामारी है स्वयं और लोगों को भी बचाना है.