हेमंत शर्मा, इंदौर। शहर में शराब माफिया सूरज रजक के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई एक बार फिर सवालों के घेरे में है। 17 अक्टूबर 2025 को दर्ज एफआईआर को आज तक पुलिस सही दिशा में आगे नहीं बढ़ा पाई है। मामला कनाड़िया थाना क्षेत्र का है, जहां फायरिंग और मारपीट की घटना के बावजूद आरोपी अब तक पुलिस की पकड़ से बाहर है।

पुलिस किस तरह दबाव में काम कर रही

सूत्रों के मुताबिक, इस मामले में बाहुबली विधायक के दबाव के चलते पुलिस कार्रवाई से बचती नजर आ रही है। यही वजह है कि पुलिस अभी तक ना मौके का नक्शा तैयार कर सकी, ना ही आरोपी सूरज रजक को पूछताछ के लिए बुलाया गया। थाना प्रभारी से जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने त्योहारी व्यस्तता का हवाला देते हुए कहा कि, जल्द कार्रवाई करेंगे।” यह जवाब साफ़ दिखाता है कि पुलिस किस तरह दबाव में काम कर रही है। जानकारी के मुताबिक, सूरज रजक पर पहले भी हत्या के प्रयास का मामला दर्ज हो चुका है, जो लसूड़िया थाने में कायम हुआ था । बावजूद इसके, रजक बार-बार पुलिस की गिरफ्त से बच निकलता है।

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विधायक के फोन के बाद पूरा मामला ठंडे बस्ते में

बताया जाता है कि हर बार जब भी पुलिस कार्रवाई की तैयारी करती है, बाहुबली विधायक के फोन के बाद पूरा मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है। 17 अक्टूबर को दर्ज की गई एफआईआर (अपराध क्रमांक 609/25) में धारा 115(2), 296, 351(2), 125, 3(5) BNS 2023 के तहत अपराध दर्ज किया गया था। फरियादी स्नेहराज जाट निवासी दुधिया, इंदौर ने रिपोर्ट दी कि रात में अपने दोस्त अर्पित सिंह गुर्जर के साथ लौटते समय बिचोली मर्दाना अंडरब्रिज के पास काले रंग की कार में आए सूरज रजक और उसके दो साथियों ने उनकी बाइक रोक ली।

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अब दोबारा उलझे तो जान से खत्म कर देंगे

रिपोर्ट के अनुसार, सूरज रजक ने गाली-गलौज कर मारपीट की, डंडे से हमला किया, और फायरिंग भी की। गोली फरियादी के पैर के पास से गुजरी। जाते-जाते आरोपियों ने धमकी दी कि “अब दोबारा उलझे तो जान से खत्म कर देंगे।” मामले की जांच उनि दीपक पालिया को सौंपी गई है। पुलिस का कहना है कि फायरिंग में इस्तेमाल हथियार का रिकॉर्ड कलेक्टर कार्यालय से मंगवाया जा रहा है, जबकि सामान्यत: ऐसे मामलों में पुलिस पहले आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेजती है और बाद में हथियार का सत्यापन करती है।

अपराधी खुलेआम कानून को ठेंगा दिखा रहे

पुलिस की यह धीमी कार्रवाई अब सवाल खड़े कर रही है कि क्या इंदौर में शराब माफिया कानून से ऊपर हैं? क्या विधायक का दबाव पुलिस पर इतना हावी है कि आरोपी आज तक खुलेआम घूम रहा है? फिलहाल, यह पूरा मामला दिखाता है कि पुलिस किस तरह राजनीतिक दबाव में काम करने को मजबूर है, और अपराधी खुलेआम कानून को ठेंगा दिखा रहे हैं।

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