दिनेश कुमार द्विवेदी, कोरिया। पीडब्ल्यूडी के कार्यपालन यंत्री की हठधर्मिता से राज्य सरकार को 1 करोड़ 10 लाख का नुकसान हुआ है. 39 लाख रुपए के जमीन मुआवजा के मामले में अब लोक निर्माण विभाग को याचिकाकर्ता को 1 करोड़ 52 लाख रुपए देना पड़ेगा. यही नहीं कोर्ट ने पीडब्लूडी का खाता भी सीज किया है.

बता दें कि वर्ष 2005 में न्यायालय ने पीडब्लूडी को अप्रोच रोड के मुआवजा के एवज में लगभग 38 लाख 78 हजार रुपए याचिकर्ता को देने का फैसला सुनाया था. विभाग के कार्यपालन यंत्री ने मुआवजा न देकर फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी, लेकिन हाइकोर्ट ने जिला न्यायालय के फैसले को यथावत रखा है. इस साथ ही अब याचिकाकर्ता को 39 लाख की जगह अब लगभग डेढ़ करोड़ की क्षतिपूर्ति देने का कोर्ट ने फैसला दिया है.

प्रथम जिला एवं सत्र न्यायालय मनेंद्रगढ़ ने भूमि अधिग्रहण की सुनवाई कर आदेश पारित किया है. इसमें नियम के तहत जमीन क्षतिपूर्ति के रूप में 39 लाख रुपए के भुगतान के अलावा एक करोड़ 10 लाख रुपए देना होगा. इसके साथ ही अदालत ने विभाग के भारतीय स्टेट बैंक खाते को सीज कर दिया है. मंगलवार को बैंक प्रबंधन को पत्र लिखकर खाते की संग्रह राशि की जानकारी भी मांगी गई है.

इसे भी पढ़ें : RBI गवर्नर शक्तिकांत दास के काम से केंद्र गदगद, सेवानिवृत्ति से पहले दिया बड़ा तोहफा…

कार्यपालन यंत्री को बताया जिम्मेदार

प्रकरण की जानकारी देते हुए याचिकाकर्ता और वरिष्ठ वकील रमेश सिंह ने विभाग के कार्यपालन यंत्री की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि रेलवे ओवरब्रिज के लिए अप्रोच रोड बनाने के लिए उनकी जमीन 1988 में अधिग्रहित की गई थी. उसके बाद से यह मामला विभिन्न न्यायालयों में विचाराधीन रहा है. अपर जिला न्यायाधीश ने मुआवजा के लिए आदेश पारित किया था, जिसके विरुद्ध कार्यपालन यंत्री हाईकोर्ट चले गए थे.

Read more : Chhattisgarh To Procure 105 Lakh Tonnes Of Paddy