लखनऊ. यूपी का ‘हेल्थ सिस्टम’ वेंटीलेटर पर नजर आ रहा है. इसके पीछे की वजह कोई और नहीं बल्कि सरकार के गैर जिम्मेदार अधिकारी ही हैं. स्मार्ट सिटी लखनऊ के अंतर्गत करोड़ों रुपयों की लागत से 100 हेल्थ एटीएम लगवाए गए थे. लेकिन हेल्थ एटीएम तक पहुंचना और वहां फैली अवस्थाएं मरीजों के लिए बड़ी चुनौती बनकर खड़ी हो रही है. जो यूपी के बदहाल व्यवस्था की पोल खोलता नजर आ रहा है.

बता दें कि लखनऊ के मोहनलालगंज स्थित हेल्थ एटीएम में गोसाईगंज और मोहनलालगंज के लोग अपनी जांच करवाने के लिए आते हैं. लेकिन हेल्थ एटीएम की स्थिति ऐसी है कि मरीज को अपना जांच करवाने आने पर बड़ी जद्दोजहद करनी पड़ रही है. बारिश के समय में हेल्थ एटीएम तक जाने के लिए रास्ता तक नहीं है. मरीजों को रास्तों में जलभराव की समस्या आती है. इतना ही नहीं रास्ते में बड़े-बड़े चारे भी उग गए हैं, जिससे लोगो को सांप-बिच्छू का डर भी सताता है.

इतना ही नहीं इन समस्याओं को पार करने के बाद मरीजों को अव्यवस्थाओं के आलम से भी गुजरना पड़ता है. कई दफा तो मशीन से जांच और टेली कंसल्टेंसी में नेटवर्क भी बाधक बनता है.

पानी में बहा रहे 15 लाख ?

एक हेल्थ एटीएम लगवाने में तकरीबन 15 लाख रुपयों तक का खर्च आता है. इसके अलावा ब्रॉडबैंड, बिजली, और AC इत्यादि का खर्च अलग से होता है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि अगर इसी प्रकार से हेल्थ एटीएम को लेकर अधिकारियों की कार्यशैली रहती है तो ये सरकार की तरफ से जनता को संजीवनी के रूप में दी गई सौगात महज सफेद हाथी ही साबित होगा.

लापरवाही की भेंट चढ़ रही हेल्थ एटीएम योजना !

लोगों को सस्ते दरों पर बेहतर इलाज के लिए लखनऊ स्थित sgpgi को इस जिम्मेदारी दी गई है. साथ ही मरीज को फौरी इलाज के लिए डॉक्टर टेली कंसल्टेंसी करवाने की भी सुविधा मौजूद है, लेकिन सरकार की इस योजना पर अधिकारी पलीता लगा रहे हैं. हेल्थ एटीएम योजना स्मार्ट सिटी के अंतर्गत आती है. जिसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी नगर निगम के नगर आयुक्त और चेयरमैन मंडलायुक्त होते हैं.

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