नासिर बेलिम, उज्जैन। धार्मिक नगरी उज्जैन में नए साल की शुरुआत बाबा महाकाल (Baba Mahakal)  की भस्मारती से की गई। हालांकि शहर में नाइट कर्फ्यू होने की वजह से भस्मारती में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर पूरी तरह प्रतिबंध है। इसलिए भस्मारती बगैर श्रद्धालुओं के हुई। पंडे -पुजारियों ने नए वर्ष की मंगलकामना की। नव वर्ष के अवसर पर बाबा महाकाल का आकर्षक श्रृंगार किया गया और महाआरती हुई। ऐसी मान्यता है की बाबा महाकाल की एक झलक पाने से हर व्यक्ति, विशेष हो जाता है। शहर में नाईट कर्फ्यू लगा होने की वजह से भस्मारती में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर पूरी तरह प्रतिबंध है। इसलिए भस्मारती बगैर श्रद्धालुओं की हुई।

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विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में नया साल अनूठे अंदाज में मनाया गया। यहाँ मन्दिर के पण्डे पुजारियों ने सुबह तीन बजे महाकाल की भक्ति में लीन होकर अपने नए साल की शुरुआत की। नए साल की पहली सुबह में बाबा महाकाल का पंचामृत अभिषेक हुआ अर्थात् दूध, दही, घी, शकर व शहद से बाबा को नहलाया गया । उसके बाद चंदन का लेपन कर सुगन्धित द्रव्य चढ़ाए और भाँग से शृंगारित किया गया इस बीच पंडितो द्वारा मंत्रोचारण किए गए। इसके बाद फिर बाबा को श्वेत वस्त्र ओढ़ाकर भस्म रमाई गई। भस्मिभूत होने के बाद झांझ-मंजीरे,ढोल-नगाड़े व शंखनाद के साथ बाबा की भस्मार्ती की गई।

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कोरोना संक्रमण के कारण शहर में नाईट कर्फ्यू लगा हुआ है इसलिए भस्मारती में श्रद्धालु शामिल नही हो सके। भस्मारती के बाद दर्शन करने के लिए पहुंचे श्रधालुओ में खासा उत्साह देखा गया। किसी ने अपने परिवार की सुख शांति के लिए कामना की तो किसी ने देश के अमन चेन व समृद्धि को लेकर मत्था टेका। यहां सभी श्रद्धालुओ द्वारा कोरोना महामारी से मुक्ति की प्रार्थना जरूर की गई।

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टीकमगढ़ के कुंडेश्वर धाम में ऑनलाइन बुकिंग व्यवस्था शुरू 

टीकमगढ़, सूर्यप्रकाश गोस्वामी। बुन्देलखण्ड के प्रसिद्ध शिवमंदिर कुंडेश्वर में आज से ऑनलाइन एकीकृत व्यवस्था लागू हो गया।नए साल के पहले दिन से मन्दिर में पूजा पाठ करवाने के लिए ऑनलाइन बुकिंग व्यवस्था भी शुरू हो गई है। टीकमगढ़ विद्यायक ओर कलेक्टर ने इसका शुभारंभ किया।

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प्रसिद्ध छिंद धाम मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

अंकित तिवारी, रायसेन। नए साल के पहले दिन प्रसिद्ध छिंद धाम मंदिर में दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। दादा के दरबार में माथा टेककर प्रार्थना की। यहां सुबह से ही श्रद्धालुओं की हजारों की संख्या में भीड़ लगी रही। भक्तों की आस्था है कि  उनकी मनोकामना पूर्ण होती है। यह एक सिद्ध स्थान है मनोकामना पूर्ण होने के बाद लोग यहां भंडारा प्रसादी एवं भजन कीर्तन सुंदरकांड कराते हैं। 

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