रायपुर. भगवान श्रीगणेश की आराधना सुख-सौभाग्य आदि प्रदान करने वाली कही गई है. संकष्टी चतुर्थी व्रत करने से घर-परिवार में आ रही विपदाएं दूर होती है. कई दिनों से रुके हुए मांगलिक कार्य संपन्न होते हैं तथा भगवान श्रीगणेश असीम सुखों को प्रदान करते हैं.
संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रती को पूरे दिन का उपवास रखना चाहिए. शाम के समय संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा सुननी चाहिए. रात के समय चन्द्रोदय होने पर गणेश जी का पूजन कर ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद स्वयं भोजन करना चाहिए. इस दिन गणेश जी का व्रत-पूजन करने से धन-धान्य और आरोग्य की प्राप्ति होती है और समस्त परेशानियों से मुक्ति मिलती है.
कैसे करें संकष्टी गणेश चतुर्थी –
चतुर्थी के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
श्रीगणेश की पूजा करते समय अपना मुंह पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर रखें.
तत्पश्चात स्वच्छ आसन पर बैठकर भगवान गणेश का पूजन करें.
फल, फूल, रौली, मौली, अक्षत, पंचामृत आदि से श्रीगणेश को स्नान कराके विधिवत तरीके से पूजा करें.
गणेश पूजन के दौरान धूप-दीप आदि से श्रीगणेश की आराधना करें.
श्री गणेश को तिल से बनी वस्तुओं, तिल-गुड़ के लड्डू तथा मोदक का भोग लगाएं.नैवेद्य के रूप में मोदक व ऋतु फल आदि अर्पित है.
सायंकाल में व्रतधारी संकष्टी गणेश चतुर्थी की कथा पढ़े अथवा सुनें और सुनाएं.
तत्पश्चात गणेशजी की आरती करें.
विधिवत तरीके से गणेश पूजा करने के बाद गणेश मंत्र ॐ गणेशाय नम: अथवा ॐ गं गणपतये नम: की एक माला (यानी 108 बार गणेश मंत्र का) जाप अवश्य करें.
इस दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार गरीबों को दान करें। तिल-गुड़ के लड्डू, कंबल या कपडे़ आदि का दान करें.
संकष्टी चतुर्थी के दिन से 27 हरी दूर्वा की पत्तियां एक कलावे से बांधकर प्रतिदिन गणेश जी को चढ़ाएं. ऐसा लगातार 11 दिन तक करें. मनचाहा वरदान अवश्य मिलेगा.