शब्बीर अहमद, भोपाल. मध्यप्रदेश के स्थापना दिवस पर बड़ी ख़ुशख़बरी राज्य के लोगों लिए आई है. ग्वालियर चम्बल को यूएनईएससीओ (UNESCO) द्वारा सीटी आफ म्यूज़िक के रूप में चुना है. ग्वालियर से महान संगीतकार तानसेन हुए और ग्वालियर की संगीत को संरक्षित व प्रसारित करने का कार्य सिंधिया घराने द्वारा सदियों से किया जा रहा है. आज भी महल में पीढ़ियों से संगीतकारों के परिवार रह कर अपनी साधना कर रहे हैं.

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लिखी थी चिट्ठी

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ग्वालियर का नाम UNESCO के सिटी में शामिल हो इसके लिए समर्थन पत्र जून के माह में लिखा था. उन्होंने इस पत्र में ग्वालियर के महान सांस्कृतिक व संगीत के इतिहास की चर्चा की व ग्वालियर घराने के महान संगीतकार बैजू बावरा व तानसेन का भी ज़िक्र किया था.

आज भी चल रही है गुरु शिष्य परम्परा

इस समर्थन पत्र में केंद्रीय मंत्री ने ग्वालियर घराने में अभी भी चल रही है. गुरु शिष्य परंपरा की व्याख्या की थी कि किस प्रकार आज भी सिंधिया घराने द्वारा ऐतिहासिक संगीत व पारम्परिक वाद्ययंत्र को बजाने वाले कलाकार व उनकी कला जीवित रहे, इसके लिए सिंधिया घराने द्वारा उनका संरक्षण किया जाता है.

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विश्व पटल पर मिलेगी नई पहचान

ग्वालियर को UNESCO द्वारा चयनित किए जाने के बाद अब ग्वालियर के संगीत को विश्व पटल पर एक नई पहचान मिलेगी व एक नई उड़ान भी होगी. जहां अब विश्व म्यूज़िक पटल पर ग्वालियर का नाम होगा. अंतरराष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम अब ग्वालियर में होंगे व इस पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा.

सिंधिया ने किया ट्वीट

सिंधिया ने एक्स (X) पर लिखा, ”मुझे यह बताते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि UNESCO द्वारा ग्वालियर को “सिटी ऑफ़ म्यूजिक” की मान्यता दी गई है. यह उपलब्धि culturemin व MPTourism के साथ मिलकर किये गए हमारे अथक प्रयासों का परिणाम है. ग्वालियर की यह उपलब्धि विश्व पटल पर मध्य प्रदेश की एक नई पहचान स्थापित करेगी और विकास व रोज़गार के नये द्वार खोलेगी. सभी प्रदेश वासियों को इस ऐतिहासिक उपलब्धि की अनंत बधाई तथा स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.”

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