राकेश कनौजिया ,बलरामपुर. आज आजादी के सात दशक बाद भी देश में छुआछूत समाप्त होने का नमा नहीं ले रही है. कई ऐसी जगहें है, जहां आज भी लोगों को छुआछूत का दंश झेलना पड़ रहा है. ऐसी ही परेशानी उठाने को बलरामपुर जिले के घसिया जाति के लोग मजबूर है. आलम यह है कि उन्हें जाति के चलते पीने के पानी से भी महरूम रखा जाता है, क्योंकि गांव में लगाये गये सरकारी नल पर उंची जाति के लोंगो ने कब्जा कर रखा है. ऐसे में घसिया जाति के लोग शासन प्रशासन से पूछ रहे है कि उनकी जाति का नल कहा है.

अपनी जाति का नल लगाने कि मांग

बलरामपुर जिले के विकास खण्ड वाड्रफनगर के ग्राम पंचायत गिरवानी के वार्ड क्रमांक 6 में जमा हुए ये लोग घसिया समाज के है, जो आज अपनी जाति के लिए नल लगाये जाने की मांग कर रहे है. इन लोगों का कहना है कि ग्राम पंचायत में चौदहवें वित्त आयोग से 3 बार नल के लिए प्रस्ताव पारित करवाया गया. जिसके बाद नल खोदने गाड़ी गांव भी पहुंची, लेकिन सरपंच ने इस सरकारी नल को निजी बताते हुए अपने और अपने करीबियों के घर के पास खुदवा लिया.

सरपंच ने की धोखधड़ी

बाद में जब इस धोखाधड़ी का पता घसिया जाति के लोगों को चला तो उन्होंने इसका विरोध शुरू कर​ दिया. और सरपंच के खिलाफ सड़कों पर उतर आये.

निची जाति के कारण नहीं भरने दिया जाता है पानी

ऐसे में सवाल यह है कि क्या कारण है कि ये घसिया समाज के लोग इस नल को ही लेकर इतना क्यों परेशान है. गांव में तो और भी जगहों पर नल लगे हुए है. जब इस मामले की पड़ताल की गई तो पता चला की मामला छुआछूत और जातिवाद से जुड़ा है

महिलाओं ने लगाया छुआछूत का आरोप

जब यहां  स्थानीय महिलाओं से बात की गई तो उन्होेंने भी छुआछूत की बात दोहराई. इन महिलाओं का कहना है ति नल खराब होने पर उसे सुधरवाने के लिए हमसे पैसे लिये जाते हैं और नल ठीक होने के बाद इसका उपयोग जाति के आधार पर किया जाता है.

 

पानी की व्यवस्था ही बीत जाता है काफी समय

ऐसी स्थिति में उन्हें पानी के लिए डेढ़ किलोमीटर दूर जाना पड़ता है, जो उनके लिए काफी कष्ट दायक होता है. महिलाओं का कहना है कि पीने के पानी की व्यवस्था करने में ही उनका काफी समय बीत जाता है. और यही कारण है कि आज उन्होंने सरपंच के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए ​विरोध शुरू कर दिया है.

पंच ने भी लगाया सरपंच पर यह आरोप

वार्ड 6 के पंच रामदास ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरपंच द्वारा दूसरा नल भी वहीं खुदवा दिया, जहां पहले से नल खुदा हुआ था.

कुछ भी कहने को अधिकारी नहीं है तैयार

वहीं जब इस बारें में संबंधित अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गई तो कुछ भी कहने को तैयार नहीं हुए.