चंद्रकांत देवांगन/शिवम मिश्रा,रायपुर। फर्जी तरीके से इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ लेने के मामले में सेंट्रल एक्साइज और सीजीएसटी के अधिकारियों ने लोहा कारोबारी मिथिलेश तिवारी को गिरफ्तार किया है. फर्जी चालान के आधार पर 21 करोड़ 31 लाख रुपए के इनपुट टैक्स क्रेडिट का गलत लाभ उठाने के मामले में गिरफ्तारी की गई है.

जांच के दौरान पाया गया कि मेसर्स एच.के. एंटरप्राइजेज ने मेसर्स ओम इस्पात, भिलाई और मैसर्स नारायण स्टील्स, भिलाई द्वारा जारी किए गए फर्जी चालान पर गलत तरीके से इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाया. जिसमें उसने 21.31 करोड़ रुपये के इनपुट टैक्स क्रेडिट को अग्रेषित करना दिखाया है. मैसर्स ओम इस्पात, भिलाई और मैसर्स नारायण स्टील्स. भिलाई ऐसी फ़र्म हैं, जो अस्तित्व में ही नहीं हैं और जो केवल फर्जी बिल जारी करके गलत इनपुट टैक्स क्रेडिट को पारित करने के लिए बनाए गए थे.

कारोबारी मिथिलेश तिवारी को सीजीएसटी अधिनियम 2017 की धारा 132 के तहत सीजीएसटी और केंद्रीय उत्पाद शुल्क रायपुर के अधिकारियों ने गिरफ्तार किया है. फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट बिल जारी कर इस प्रकार का सौदा करने वाले डीलरों का रैकेट कई राज्यों में फैल रहा है. इसकी आगे की जांच चल रही है.

बता दें कि पिछले 3 महीनों में नकली चालान जारी करने के कारोबार में शामिल करदाता पर सीजीएसटी विभाग बहुत सख्त रहा है. कार्रवाई करने वाले आसूचना तंत्र द्वारा समर्थित संपूर्ण डेटा विश्लेषण ने नकली चालान के कई बड़े रैकेटों की पहचान की है. उनकी कार्यप्रणाली में अपने विश्वासपात्र जैसे कि ड्राइवर, नौकर, कर्मचारी आदि के नाम पर फर्जी फर्मों की वेब बनाना शामिल है. फर्जी बिलों के माध्यम से लेन-देन को वास्तविक रूप देने के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में कई संस्थाओं के माध्यम से जारी किया जाता है और चलाया जाता है. सीजीएसटी विभाग द्वारा कई प्रकार के अन्वेषण और निरीक्षण में इस प्रकार के रैकेट का भंडाफोड़ किया गया है.

एक अन्य मामले में रायपुर में एक बड़े ट्रेडर 12 करोड़ रुपये के जीएसटी की चोरी (कर अपवंचन) में शामिल थे, जिन्हें विभाग द्वारा सितंबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था. यह विभाग की अपने काम के प्रति गंभीरता को स्पष्ट रूप से दर्शाता है, जिसने इस तरह के गैरकानूनी कृत्यों में लिप्त अन्य दोषियों को इस प्रकार के कार्यों से रोका है और इस प्रकार राज्य के लिए राजस्व में वृद्धि हुई है. इसके अलावा कई अन्य जाँचों में पहले ही 100 करोड़ से अधिक की कर चोरी का पता चला है और इनमें से लगभग 47 करोड़ रुपये पहले ही विभाग द्वारा वसूले जा चुके हैं.