दुर्ग। शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय (साइंस कॉलेज) के भौतिकी विभाग एवं आईक्यूएसी के संयुक्त आयोजन में भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के प्रणेता डॉ. विक्रम अम्बालाल साराभाई की 102वीं जयंती मनाई गई.

भौतिकी विभाग की अध्यक्ष डॉ. पूर्णा बोस ने छात्रों को डॉ. साराभाई के जीवन से जुड़ी रोचक बातें बताईं. नैेक को-ऑर्डिनेटर डॉ. जगजीत कौर सलूजा ने बताया कि डॉ. साराभाई के शोध की वजह से ही आज हम मंगल व चांद पर पहुंच पा रहे हैं. भौतिकी परिषद प्रभारी डॉ. अनिता शुक्ला ने कार्यक्रम की सराहना की.

छात्र आकर्षित बरनवाल ने डॉ. साराभाई को याद करते हुए बताया कि भारतीय ‘आई इन द स्काई-जीआईसैट-1, ईओएस‘ का प्रक्षेपण तकनीकी कारणों की वजह से यह असफल रहा. छात्रा मुक्ति वर्मा, राधेश्वरी साहू व अभिनव सिंह ने पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन द्वारा डाॅ. साराभाई की उपलब्धियों को बताया। ने डॉ. साराभाई के जीवन पर पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन दिया.

सीतेष्वरी चन्द्राकर व डॉ. अभिषेक कुमार मिश्रा ने कहा कि भारतरत्न व भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम के प्रेरणास्रोत भी डॉ. विक्रम साराभाई ही थे. डाॅ. साराभाई को शांति स्वरूप भटनागर, पद्मभूषण एवं मरणोपरांत पद्मविभूषण से भी सम्मानित किया गया था. कार्यक्रम के अंत में भौतिकी परिषद की सहसचिव काजल राजपूत ने धन्यवाद ज्ञापित किया.

महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. आरएन सिंह ने विभाग के प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजनों से विद्यार्थियों को प्रेरणा मिलती रहती है. डाॅ. साराभाई ने अपने विचारों को संस्थानों में परिवर्तित किया। इनके परमाणु ऊर्जा, भौतिक विज्ञान, औषधि निर्माण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान को कभी भी भुलाया नही जा सकता. उनके विचार हम सबको ऊर्जान्वित करते रहते हैं. कार्यक्रम को सफल बनाने में विभाग के सभी प्राध्यापकों का सहयोग रहा.