हर माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत रखा जाता है। परंतु सावन माह में इस तिथि का महत्व बढ़ जाता है। इस बार दुर्गा अष्टमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग बन रहा है। इस दिन सुबह 06:26 बजे से सर्वार्थ सिद्धि योग है, जो शाम 06:44 बजे तक है। इस योग में किए गए कार्य सफल सिद्ध होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। हिन्दू धर्म में दुर्गा अष्टमी का व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन मां के नौ स्वरूपों से में 8वें स्वरूप मां महागौरी की पूजा विधि विधान से करने पर लोगों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और जीवन में आने वाली परेशानियों से छुटकारा मिलता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने जब कठोर तप से भगवान शिव को प्रसन्न कर दिया तो शिव ने उनको महागौर वर्ण प्रदान किया, क्योंकि हजारों साल के कठोर तप से उनका शरीर काला और दुर्बल हो गया था। माता पार्वती के महागौर वर्ण वाले स्वरूप को महागौरी के नाम से जानते हैं। इस बार मंगलवार 13 अगस्त को व्रत रखा जाएगा।
पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 12 अगस्त को सुबह 07 बजकर 56 मिनट पर शुरू हो गई है। अष्टमी तिथि का समापन 13 अगस्त को सुबह 9 बजकर 31 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार, मासिक दुर्गाष्टमी का पर्व 13 अगस्त को मनाया जाएगा। दुर्गा अष्टमी के दिन मां दुर्गा के अष्टम रूप, महागौरी की पूजा की जाती है। यह दिन शक्ति और साहस का प्रतीक है।
सावन की दुर्गाष्टमी को माता के भक्त व्रत रखते हैं। इस दिन मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा और व्रत किया जाता है। इस व्रत में लोगों को जरूरी बातों का ध्यान रखना होता है, ताकि व्रत का पूर्ण फल प्राप्त हो सके। मान्यता है कि इस शुभ तिथि पर सच्चे मन से मां दुर्गा की पूजा और व्रत करने से भक्तों को जीवन में शुभ फल की प्राप्ति होती है और मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
दुर्गा अष्टमी पर क्या करें
दुर्गाष्टमी के दिन मां महागौरी की पूजा करें और उन्हें फूल, फल, मिठाई अर्पित करें। इसके साथ ही कन्याओं को भोजन खिलाकर पैर छूकर आशीर्वाद लें। इस दिन व्रत रखने के साथ माता दुर्गा के भजन-कीर्तन करें। दुर्गाष्टमी के शुभ अवसर पर घर में अखंड दीपक प्रज्जवलित करें। यदि घर में शस्त्र है तो उसकी भी पूजा करें।
दुर्गाष्टमी पर क्या न करें
दुर्गाष्टमी के दिन व्रत करने वाले भक्तों को शुद्ध का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस दिन अपने मन में किसी प्रकार का कोई नकारात्मक विचार न आने दें। व्रत के दौरान किसी से भी झगड़ा न करें और कोई अशुभ काम न करें।