रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में चर्चा के दौरान सदस्य एक दूसरे के प्रति जाति सूचक शब्दों का प्रयोग करते हैं बल्कि उनकी भाषा-व्यवहार और आचरण भी शालीन नहीं रहती. यह हम नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष द्वारा सदस्यों के व्यवहार और भाषा को लेकर एक एडवायजरी जारी की है. अध्यक्ष द्वारा दी गई व्यवस्था में सदस्यों को सदन के भीतर चर्चा के दौरान एक दूसरे से सम्मानजनक और शालीन आचरण बरतने कहा गया है. साथ ही सदन की गरिमा बनाए रखने के लिए भी कहा गया है. अध्यक्ष ने 27 नवंबर को सभी सदस्यों के लिए यह एडवायजरी जारी की है.

यह लिखा है एडवायजरी में

प्रायः यह देखा गया है कि माननीय सदस्यगण चर्चा के दौरान म एक-दूसरे सदस्यों के प्रति न केवल जाति-सूचक शब्दों का प्रयोग करते हैं, वरन उनकी भाषा, व्यवहार एवं आचरण भी शालीन नहीं रहता है. इस संबंध में पूर्व में भी कई बार अनुरोध किया गया है कि माननीय सदस्यगण सदन में एक-दूसरे के प्रति सम्मानजनक शब्दों का गया या प्रयोग करें. किन्त देखा यह गया है कि बार-बार निर्देशित करने के बावजूद दिनांक 25.11.2019 को एक माननीय सदस्य ने एक अन्य माननीय सदस्य के प्रति जाति-सूचक शब्द का प्रयोग किया. जिसके कारण सदन की कार्यवाही में अनावश्यक व्यवधान हुआ और सदन के सुचारू संचालन में बाधा उत्पन्न हुई तथा कल दिनांक 26.11.2019 को भी भोलकर काम्मान, सदस्यगण की भाव-भंगिमा को लेकर कार्यवाही में व्यवधान हुआ.

छत्तीसगढ़ विधान सभा की अपनी उच्च परम्परायें हैं, तथा माननीय सदस्यों का केवल एक-दूसरे के प्रति सद्भाव एवं सामन्जस्य भी उच्च स्तर का होने के कारण सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से संचालित होती रही है. 

अतः मेरा सभी माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया भविष्य में किसी भी माननीय सदस्य के प्रति जाति-सूचक शब्द का प्रयोग न करें एवं अपना व्यवहार, आचरण एवं भाव-भंगिमा भी सदन की गरिमा के अनुरूप बनायें रखें एवं किसी माननीय सदस्य के भाषण के बीच अनावश्यक टीका-टिप्पणी भी न करें.

सभी माननीय सदस्यों से पुनः यह अनुरोध है कि न केवल अपने वरन् सदन की भी गरिमा बनाये रखें.