असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक दशहरा पर्व आज देश में बड़ा ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. कानपुर में एक ऐसा भी मंदिर है जहां विजयदशमी के दिन पूरे विधिविधान से रावण का दुग्ध स्नान और अभिषेक कर श्रंगार किया जाता है. उसके बाद पूजन के साथ रावण की स्तुति कर आरती की जाती है.
इस मंदिर के पुजारियों और शास्त्र विद्वानों का मानना है कि रावण को जब भगवान राम ने युद्ध में बाण मारा था, तो उनका ब्रह्म बाण रावण की नाभि में लगा था. बाण लगने के बाद और रावण के धराशाही होने के बीच कालचक्र ने जो रचना की उसने रावण को पूजने योग्य बना दिया. यह वह समय था जब राम ने लक्ष्मण से कहा था कि रावण के पैरों की तरफ खड़े हो कर सम्मानपूर्वक नीति ज्ञान की शिक्षा ग्रहण करो. क्योंकि धरातल पर न कभी रावण के जैसा कोई ज्ञानी पैदा हुआ है और न कभी होगा. रावण का यही स्वरूप पूजनीय है और इसी स्वरूप को ध्यान में रखकर कानपुर में रावण के पूजन का विधान है. Read More – छत्तीसगढ़ में माता के इस चमत्कारिक मंदिर में मिर्च से होता है हवन, जानिए क्या है इसके पीछे की वजह …
साल 1868 में कानपुर में बने इस मंदिर में तबसे आज तक निरंतर रावण की पूजा होती है. लोग हर साल इस मंदिर के खुलने का इन्तजार करते हैं. मंदिर खुलने पर यहां रावण की पूजा अर्चना बड़े धूम-धाम से की जाती है. इसी के साथ विधि-विधान से रावण की आरती भी गाई जाती है. Read More – द कश्मीर फाइल्स के बाद अब विवेक अग्निहोत्री लाने वाले हैं नई फिल्म Parva, कहानी महाभारत पर होगी आधारित …
कानपुर में मौजूद रावण के इस मंदिर के बारे में यह भी मान्यता है कि यहां मन्नत मांगने से लोगों के मन की मुरादें भी पूरी होती हैं और लोग इसीलिए यहां दशहरे पर रावण की विशेष पूजा करते हैं. यहां दशहरे के दिन ही रावण का जन्मदिन भी मनाया जाता है. बहुत कम लोग जानते होंगे कि रावण को जिस दिन राम के हाथों मोक्ष मिला उसी दिन रावण पैदा भी हुआ था.
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