कुशीनगर. पूर्वाचंल सहित कुशीनगर जनपद गन्ना बाहुल्य क्षेत्र होने के साथ-साथ किसानों के आय का मुख्य फसल है. जिससे किसानों की आजीविका चलती है, लेकिन हमेशा से गन्ना किसान उपेक्षा का शिकार होता चला आ रहा है. गन्ना अभी चीनी मिलों पर सप्लाई से लेकर भूगतान होने तक उपेक्षित होकर रह गया.

अप्रैल माह से जून माह तक गन्ने में सिंचाई की सक्त जरूरत रहती है, लेकिन इसी तीन माह तक नहरों में पानी नहीं रहती. कभी किसानों के लिए वरदान साबित होती नहरें, अब उसमें धूल उड़ रही है. किसान इस प्रचंड गर्मी में अपने निजी संसाधन पम्पिंग सेट में गन्ना के फसल को सिंचाई करने पर मजबूर है. मंहगे डीजल ने इस भीषण गर्मी में किसानों की कमर तोड़ के रख दी है. किसान सूख रहें गन्ने के फसल को किसी तरह सिंचाई करने पर मजबूर है. इस तरह सरकार किसानों की आय दुगुना करने की बात करती है, लेकिन पंपिंग सेट से सिंचाई करने पर आय से अधिक लागत लग जाने की बात किसान कर रहा है.

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जनपद में नहरों का जाल बना है. नहरों की सिल्ट सफाई से लेकर रख-रखाव में सलाना करोड़ों रुपए सरकार खर्च करती है, लेकिन दर्जनों इस तरह की नहरे हैं कि जहां हेड से टेल तक पानी नहीं पहुंच पाता. सरकार के दावे सिर्फ कागजी आंकड़ों तक ही सिमट कर रह जाती है और सरकार के बड़े-बड़े दावों को किसान फेल बता रहे हैं. इस सम्बन्ध में जिम्मेदार अधिकारियों सें सवाल करने पर वह कैमरे पर ज़बाब नहीं देना चाहते तो कहीं कहीं जिम्मेदार अधिकारी अपनें जिम्मेदारी से भागते नजर आते हैं. अब देखना यह हैं की इन सुखी नहरों में पानी कब तक आता या इसी तरह नहरें धुल फांकती रहती और किसान परेशान रहता है.

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