दक्षिण भारत की ‘द्वारिका’: गुरुवायूर मंदिर (गुरुपवनपुरी) केरल के त्रिशुर जिले के गुरुवयूर शहर में एक प्रसिद्ध मंदिर है. यह मंदिर भगवान विष्णु (गुरुवायुरप्पन) को समर्पित है, लेकिन उनके सबसे लोकप्रिय रूप को कृष्ण के नाम से जाना जाता हैं. केरल का सबसे समृद्ध मंदिर, गुरुवायूर मंदिर भगवान गुरुवायुरप्पन को समर्पित है. गुरुवायूर केवल केरल में ही प्रसिद्ध नहीं बल्कि पूरे भारत वर्ष के प्रमुख तीर्थ स्थानों में से एक है.
इस मंदिर में भगवान कृष्ण अपने बाल गोपाल रूप में विराजमान हैं. गुरुवायुर मंदिर में कृष्ण भगवान की बहुत ही सुंदर मूर्ति है. कान्हा के दर्शन काफी मनमोहक है. गुरुवायुरप्पन मंदिर में रामलला की तरह ही भगवान कृष्ण की बाल रूप में पूजा होती है. मान्यता है कि यह मंदिर 5 हजार साल से भी अधिक पुराना है. लेकिन 1638 में इसका पुनर्निर्माण किया गया.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवगुरु बृहस्पति के आग्रह पर इस मंदिर का निर्माण खुद विश्वकर्मा ने किया था. खास बात ये है कि इस मंदिर में दूसरे धर्मों के लोगों का प्रवेश प्रतिबंधित है. यहां हिंदुओं के अलावा और कोई प्रवेश नहीं कर सकता.
ऐसी मान्यता है कि गुरुवायूर मंदिर में भगवान को कोई भी वस्तु का दान अपने वजन के बराबर करना चाहिए, इसलिए लोग अपने वजन के बराबर चीजें दान करते हैं. सूर्य की पहली मूर्ति भगवान गुरुवायुर के चरण पर पड़ती है. इसे दक्षिण की द्वारिका भी कहा जाता है.
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