नई दिल्ली। देश की तरक्की और उत्थान में युवाओं का सक्रिय रोल बहुत जरूरी है. केजरीवाल सरकार युवाओं को समाज की कमियों के बारे में जागरूक करने और उन्हें साथ लेकर इन्हें सुधारने पर काम करने की पक्षधर है. इसी सिलसिले में दिल्ली के शिक्षा मंत्री व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने वंचित तबकों में सामाजिक और राजनीतिक नेतृत्व खड़ा करने में जुटी संस्था डिसोम (DISOM) से जुड़े युवा फेलोस और उनकी लीडरशिप टीम से मुलाकात की. इस मौके पर मनीष सिसोदिया ने कहा कि मुझे आपसे मिलकर बहुत अच्छा लगा. मुझे सबसे अच्छी यह बात लगी कि आप सब समाज के बारे में सोच रहे हैं. ज्यादातर लोगों से बात करने पर उनका परिचय उनके नाम और उनके पद पर ही सीमित हो जाता है, लेकिन आप लोगों से मिलकर आपके समाज व देश के बारे में सपने सुनकर मुझे बेहद खुशी हुई. आप अपने नाम से बड़े हो गए हैं. इसका मतलब यह है कि आप अपने नाम से आगे, अपनी पहचान से आगे सोच रहे हैं, जो कि शिक्षा का असली लक्ष्य है. सपने नहीं होंगे, तो सब खत्म हो जाएगा.

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शिक्षा का काम माइंडसेट डेवलप करना है- मनीष सिसोदिया

शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने यह भी कहा कि आज की शिक्षा प्रणाली में यही दिक्कत है कि हमारे बच्चे सपने नहीं देख रहे. मैं कई बच्चों से बात करता हूं, मैं उनसे पूछता हूं कि वो क्या कर रहे हैं, क्यों कर रहे हैं, तो बहुतों के पास जवाब नहीं होता. यह हमारे शिक्षण प्रणाली की असफलता है कि बच्चों को पता नहीं कि वो किस मकसद से पढ़ रहे हैं. मनीष सिसोदिया ने कहा कि शिक्षा का काम केवल नौकरी देना, आईएएस, इंजीनियर, डॉक्टर बनाना नहीं हैं. शिक्षा का जोर अभी कॉन्सेप्ट, कंटेन्ट पर है. दुनिया में अभी लोग माइन्डसेट को शिक्षा का फोकस नहीं मानते हैं. अभी हमारा ध्यान ज्ञान, आविष्कार पर है और इसके नतीजे हम देख रहे हैं. जैसे ही शिक्षा का फोकस माइन्डसेट होगा, वैसे ही समाज में नतीजे दिखने लगेंगे.

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हाशिए पर खड़े समुदायों के उत्थान के लिए शिक्षा सबसे प्रभावी जरिया

युवा साथियों से शिक्षा को हर कोने तक ले जाने पर चर्चा के दौरान शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि बात केवल नीयत की है. कोई काम नहीं करने के कई बहाने होते हैं, लेकिन काम करने का एक ही तरीका है और वो है आपकी नीयत. हमारी नीयत थी, इसीलिए हमने 5 साल में दिल्ली के स्कूल सुधार दिए. अगर दिल्ली की झुग्गी वाले स्कूल ठीक हो सकते हैं, तो हर जगह के स्कूल भी सुधर सकते हैं. अगर देश के हर कोने में कोक, चाउमीन, इंटरनेट पहुंच सकता है, तो शिक्षा भी पहुंच सकती है. डिसोम लीडरशिप स्कूल भविष्य के राजनीतिक और सामाजिक ‘सेवक नेताओं’ को विकसित करने पर काम करता है. डिसोम फेलोज साथी भारत के विभिन राज्य जैसे ओडिशा, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, झारखंड, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में सामाजिक सुधार और पिछड़े समाज की राजनीतिक समझ विकसित करने और उन्हें समाज में निर्णायक भूमिका देने के लिए काम कर रहे हैं.

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