रायपुर.छत्तीसगढ़ के आयुक्त वाणिज्यिक कर ने बताया कि जीएसटी के अंतर्गत राज्य में ई-वे बिल सिस्टम लागू किया जा रहा है। माल के अंतर्राज्यीय परिवहन पर 1 फरवरी 2018 से यह नई ई-वे बिल सिस्टम लागू होगी, जबकि राज्य के भीतर माल परिवहन के लिए 1 जून 2018 से लागू किया जाएगा।  कारोबारियों और ट्रांसपोर्टरों की जागरूकता के लिए इस संबध में वाणिज्यिक कर विभाग ने उपयोगी जानकारी उपलब्ध कराई है। ई-वे बिल के बारे में व्यापारियों और आमजनों की अनेक शंकाओं और जिज्ञासाओं का प्रश्नोत्तर शैली में समाधान भी किया गया है।

आयुक्त वाणिज्यिक कर कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार व्यापारियों के मन में  यह सवाल उठा है कि-ई-वे बिल सिस्टम क्या है और क्या यह चेकपोस्ट व्यवस्था की वापसी है ?

अधिकारियों ने बताया कि परिवहित किए जा रहे माल के संबंध में परिवहन से पूर्व स्वघोषणा की प्रणाली है। स्व-घोषणा माल के कंसाईनर या कंसाईनी या ट्रांसपोर्टर द्वारा किया जाएगा। यह चेकपोस्ट व्यवस्था की वापसी नहीं है, क्योंकि इस प्रणाली में मानवीय हस्तक्षेप नहीं है।

ई-वे बिल सिस्टम की आवश्यकता क्यों पड़ी ?

इसका जवाब यह कि छत्तीसगढ़ के अलावा प्रायः सभी राज्यों में वेट प्रणाली के अंतर्गत चेक पोस्ट या ई-वे बिल प्रणाली लागू थी। जीएसटी लागू होने पर चेक पोस्ट व्यवस्था पूरे देश से समाप्त कर सरलीकृत ई-वे बिल प्रणाली लागू की गई है। इससे कर प्रशासन में पारदर्शिता आएगी तथा कर अपवंचन पर अंकुश लगेगा। इस व्यवस्था में माल के अंतर्राज्यीय परिवहन से पूर्व माल का ब्यौरा पोर्टल के माध्यम से विभाग केा दिया जाएगा। जिसकी जिम्मेदारी विक्रेता, क्रेता तथा ट्रांसपोर्टर की है।  माल का ब्यौरा सिस्टम से विभागीय अधिकारियों को प्राप्त होगा। इससे कर भुगतान की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलेगा तथा कर अपवंचन की प्रवृत्ति रूकेगी।  ई-वे बिल की जानकारी के लिए वेबसाईट ईवेबिल डॉट एनआईसी डॉट इन है। ई-वे बिल सिस्टम में रजिस्ट्रेशन के बारे में अधिकारियों ने बताया कि जो व्यक्ति जीएसटी में पंजीकृत है, उनको ई-वे बिल सिस्टम में भी पंजीयन कराना होगा। पर लिखित वेबसाईट में पंजीयन की सुविधा है।

यदि कोई जीएसटी में अन-रजिस्टर्ड है, तो ई-वे बिल में पंजीयन की क्या प्रक्रिया है ?

इस बारे में अधिकारियों ने बताया कि उन्हें ई-वे बिल सिस्टम में नामांकन कराना होगा, जिसकी वेबसाईट में सुविधा की गई है। ई-वे बिल कौन जनरेट कर सकता है। इसके जवाब में बताया गया कि विक्रेता या क्रेता अथवा ट्रांसपोर्टर जनरेट कर सकता है। जनरेट करने के लिए कंसाइनमेन्ट का इन्वाईस एवं वाहन का नम्बर या रेलवे रसीद या जहाज का शिपिंग बिल का डाक्यूमेन्ट नम्बर की जरूरत होगी। ई-वे बिल की वैधता अवधि बिल में ही प्रदर्शित रहती है। एक सौ किलोमीटर के लिए 24 घण्टे तथा प्रत्येक सौ किलोमीटर के लिए अतिरिक्त एक दिन वैध रहेगा। 24 घण्टे की गणना ई-वे बिल जनरेट करने के समय से की जाएगी। माल के परिवहन के लिए ई-वे बिल की प्रिन्ट या ई-वे बिल नम्बर के साथ कंसाइनमेन्ट की टैक्स इन्वाईस या बिल ऑफ सप्लाई या डिलीवरी चालान होना आवश्यक है। एक बार ई-वे बिल जनरेट होने पर त्रुटि होने पर इसे निरस्त कर फिर से नया ई-वे बिल जनरेट किया जा सकता है।

क्या जनरेटेड ई-वे बिल को निरस्त किया जा सकता है ?

इस बारे में अधिकारियों ने बताया कि हॉ। जनरेटेड ई-वे बिल से संबंधित माल का परिवहन नहीं होने या ई-वे बिल में दर्शाए गए विवरण के अनुसार परिवहन नहीं होने पर ई-वे बिल को जनरेट करने के 24 घण्टे के भीतर निरस्त किया जा सकता है, यदि इस दौरान बिल का परिवहन के दौरान सत्यापन नहीं हुआ हो।

क्या कुछ वस्तुओं को ई-वे बिल से छूट दी गई है ?

हां, जीएसटी के अंतर्गत करमुक्त वस्तुओं (डीऑयल केक को छोड़कर ) के परिवहन के लिए ई-वे बिल की आवश्यकता नहीं है। पचास हजार रूपए से अधिक मूल्य के कंसाईनमेन्ट के लिए ई-वे बिल होना अनिवार्य है। माल के अंतर्राज्यीय परिवहन के लिए 1 फरवरी 2018 से छत्तीसगढ़ में ई-वे बिल सिस्टम लागू किया जा रहा है। किन्तु 16 जनवरी 2018 से इसका ट्रायल शुरू हो चुका है। राज्य के भीतर परिवहन के लिए 1 जून 2018 से यह व्यवस्था लागू होगी।

ई-वे बिल नहीं होने से यदि कर अपवंचन पाया जाता है, तो कितनी पेनाल्टी लगेगी ?

अधिकारियों ने बताया कि ई-वे बिल नहीं होने की स्थिति में माल अथवा वाहन को कुर्क अथवा जब्त किया जा सकेगा। यदि माल का मालिक सामने आता है, तो माल पर देय कर की राशि और इसके 100 प्रतिशत के बराबर पेनाल्टी लगेगी। यदि माल के मालिक सामने नहीं आते हैं, तो माल पर देय कर की राशि और माल के मूल्य का 50 प्रतिशत के बराबर शास्ति के भुगतान करने पर ही छोड़ा जा सकेगा। व्यापारी तथा ट्रांसपोटर्स विभागीय टोल फ्री नम्बर 1800-233-5382 पर इस विषय में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

ई-वे बिल सिस्टम में क्या-क्या सुविधाएं हैं ?

इस सिस्टम में एसएमएस से तथा मोबाइल एप्लीकेशन से ई-वे बिल जनरेट करने की सुविधा है। ट्रांसपोटर्स को कंसालिडेटेड (समेकित) ई-वे बिल जनरेट करने की सुविधा है।