Earning from cucumber farming in Rajasthan: देश में कई किसान अब गेहूं, धान, दलहन, तिलहन जैसी पारंपरिक खेती के बजाय नई फसलों की कोशिश कर रहे हैं. कई किसानों ने नई खेती अपनाकर अपनी आय बढ़ाने में सफलता भी हासिल की है. देश के कई इलाकों के किसान हाइड्रोपोनिक खेती कर रहे हैं तो कई इलाकों के किसान पारंपरिक फसलों की जगह सब्जियों और फलों की खेती करने लगे हैं, जिससे उन्हें अच्छी खासी कमाई हो रही है.
राजस्थान के नागौर में रहने वाले रामनिवास पॉलीहाउस तकनीक से खेती कर रहे हैं. रामनिवास अपने खेत में खीरे की खेती करते हैं. इनका मुनाफा बाजार में चल रहे खीरे के भाव पर निर्भर करता है. वह साल में दो से तीन बार खीरे की खेती करते हैं, जिससे उन्हें 14-15 लाख रुपये की कमाई हो जाती है.
किसानों में खेती के प्रति बढ़ी जागरूकता अब उन्हें पारंपरिक खेती से अलग कर रही है. रामनिवास पॉलीहाउस और शेडनेट में ककड़ी और मिर्च की खेती से अच्छी कमाई कर रहे हैं.
एक वर्ष में तीन फसलें
रामनिवास ने बताया कि 1 एकड़ में खीरे के बीज की कीमत करीब ₹70000 आती है. खेत की जुताई से लेकर फसल की कटाई तक का खर्च ₹300000 तक हो जाता है. खीरे की फसल एक सीजन में 4 महीने में कटाई के लिए तैयार हो जाती है. 1 एकड़ में 400 क्विंटल तक खीरा प्राप्त होता है, जिससे उसे ₹800000 का लाभ होता है.
खीरे की कीमत का असर
इस साल अक्टूबर में खीरा 40 रुपये किलो तक बिक रहा है, जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा हो रहा है. अगर खीरे का भाव ₹15 से ₹20 प्रति किलो है तो रामनिवास को थोड़ा नुकसान होता है. रामनिवास साल में तीन बार खीरे की फसल लेते हैं, इसके साथ ही वह हरी मिर्च की भी खेती करते हैं, जिससे उन्हें साल में 15 लाख रुपये तक की कमाई हो जाती है.
कई खर्चों से छुटकारा
रामनिवास के अनुसार खीरे की खेती में ज्यादा मेहनत नहीं लगती है. खीरा 3 से 4 महीने में उपज देना शुरू कर देता है. खीरे के बीज बोने के लिए मजदूरों को नहीं लगाना पड़ता है, जिससे उन्हें कई खर्चों से छुटकारा मिल जाता है.
जैविक खाद के लाभ
रामनिवास रासायनिक खाद के स्थान पर पूरी तरह से जैविक खाद का प्रयोग कर अच्छी कमाई कर रहे हैं. रामनिवास ने कहा कि अगर किसान सरकार की मदद से नई तकनीक का इस्तेमाल करें तो उनकी उपज में काफी इजाफा हो सकता है.
पॉलीहाउस की कीमत
पॉलीहाउस शेड नेट लगाने की लागत 20 लाख रुपये है। सरकार हर जिले के लिए टारगेट तय करती है. राजस्थान के नागौर जिले में जिले के 25 किसानों को पॉलीहाउस पर सब्सिडी देने का लक्ष्य रखा गया है. इतने ही किसानों को शेडनेट पर सब्सिडी मिलती है.
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