Myanmar Earthquake: विगत शुक्रवार (28 मार्च) को आए म्यांमार में आए भूकंप ने जमकर तबाही मचाई है। भूकंप की मार से म्यांमार से लेकर बैंकॉक तक त्राहिमाम है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भूकंप में अबतक 1800 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 3 हजार से ज्यादा घायल है। तबाही मचाने के बाद भी म्यांमार में अब भी धरती कांप रही है। यूएसजीएस के मुताबिक, रविवार को मांडले शहर के पास 5.1 तीव्रता का भूकंप आया। यह शुक्रवार के विनाशकारी भूकंप के बाद का नया झटका था। वहीं पिछले 48 घंटे में 17 बार धरती डोल चुकी है।

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म्यांमार में भूकंप का सिलसिला जारी है। रविवार दोपहर आए भूकंप से पहले, शुक्रवार को आए 7.7 तीव्रता के बड़े झटके के बाद शनिवार शाम तक कम से कम पांच और झटके महसूस किए गए थे। इनमें से सबसे तेज़ झटका 6.4 तीव्रता का था। लगातार भूकंप आने से लोग डरे हुए हैं और अफरा-तफरी का माहौल बना हुआ है। म्यांमार भूकंप के खतरे वाले क्षेत्र में आता है क्योंकि यह सागाइंग फॉल्ट पर स्थित है। यह फॉल्ट इंडिया प्लेट और सुंडा प्लेट को अलग करता है, जिस वजह से यहां बार-बार भूकंप आते रहते हैं।

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तबाही के बीच मरहम लगा रहा भारत 

इससे पहले विनाशकारी भूकंप की चपेट में आए म्यांमार की मदद के लिए भारत हर संभव मदद कर रहा है। विदेश मंत्री जयशंकर ने शुक्रवार को जानकारी दी कि 40 टन सहायता सामग्री लेकर दो जहाज पड़ोसी मुल्क के लिए रवाना हो गए हैं। एस जयशंकर ने लिखा, “ऑपरेशन ब्रह्मा, आईएनएस सतपुड़ा और आईएनएस सावित्री 40 टन मानवीय सहायता लेकर यांगून बंदरगाह की ओर बढ़ रवाना। म्यांमार पहले से गृहयुद्ध में जल रहा है। ऐसे में भूकंप की मार जले पर नमक की तरह है. हालांकि इस मुश्किल हालात में भारत ने म्यांमार के साथ खड़ा हुआ है।

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334 परमाणु बमों के बराबर ताकतवर था म्यांमार का भूकंप

 7.7 तीव्रता के भीषण भूकंप ने म्यांमार में भारी तबाही मचाई। भूवैज्ञानिक जेस फीनिक्स के अनुसार, इस भूकंप से उतनी ऊर्जा निकली जितनी 334 परमाणु बमों के विस्फोट में होती है। उन्होंने चेतावनी दी कि इस क्षेत्र में लंबे समय तक आफ्टरशॉक्स (भूकंप के झटके) आते रह सकते हैं। अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के मुताबिक, भूकंप का केंद्र म्यांमार के मांडले शहर में था और यह दोपहर के समय 10 किलोमीटर की गहराई में आया। स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, इस आपदा में अब तक 1,600 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि यूएसजीएस का अनुमान है कि मरने वालों की संख्या 10,000 से अधिक हो सकती है।

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फीनिक्स ने बताया कि इस भूकंप से उतनी ही ऊर्जा निकली जितनी 334 परमाणु बमों के विस्फोट में होती है। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि इस क्षेत्र में महीनों तक आफ्टरशॉक्स (झटकों) का खतरा बना रहेगा क्योंकि भारतीय टेक्टोनिक प्लेट यूरोशियन प्लेट से टकराती जा रही है।

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