राकेश चतर्वेदी, भोपाल। मध्यप्रदेश में मिशन 2023 की तैयारी शुरू हो गई है। चुनावी साल में अन्य मांगों की तरह जिला बनाने की मांग भी उठ रही है। यह मांग सरकार द्वारा प्रदेश में दो नए जिला बनाने की हुई घोषणा के बाद उठने लगी है। प्रदेश के आधा दर्जन क्षेत्रों से नए जिला बनाने की मांग जोर पकड़ रही है। वहीं पूर्व में किए गए घोषणा पर भी अमल किए जाने की गूंज सुनाई पड़ रही है। इसी कड़ी में कई जिलों की घोषणा अभी कतार में है।

बता दें कि 4 मार्च को रीवा से अलग कर मऊगंज को जिला बनाने की घोषणा सीएम शिवराज सिंह चौहान ने की है। इसी तरह उन्होंने 20 जुलाई को उज्जैन से अलग कर नागदा को भी नया जिला बनाने की घोषणा है। पूर्ववर्ती कमलनाथ की कांग्रेस सरकार ने भी मैहर और चाचौड़ा को जिला बनाने की घोषणा की थी, जिस पर अमल नहीं हुआ है। अमल होने के पहले उनकी सरकार चली गई, इसलिए मामला अधर में लटक गया है।

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मध्यप्रदेश में जिलों का गणित इस प्रकार है।
1956 में मध्यप्रदेश में कुल 43 जिले थे। छत्तीसगढ़ पृथक राज्य बनने के बाद साल 2000 में मध्यप्रदेश में 45 जिले बचे थे।
2003 में उमा भारती की बीजेपी सरकार ने प्रदेश के अनूपपुर, बुरहानपुर और अशोकनगर को जिला बनाया है। इसी तरह
2008 में अलीराजपुर और सिंगरौली को भी जिला का दर्जा दिया गया है।
2013 में शाजापुर से अलग कर आगर मालवा को नया जिला बनाया गया है।
2018 में टीकमगढ़ से अलग कर निवाड़ी को भी नया जिला बनाया गया है।

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