Himachal Pradesh Economic Crisis: जनता का वोट पाने के लिए फ्री की रेवड़ियां (Freebies Culture) देने का वादा किया जाता है और फिर जब इनको पूरा करने की बारी आती है तो कर्ज के बोझ तले दब जाते हैं। ऐसा ही कुछ हिमाचल प्रदेश में हुआ है। हालात यह है कि हिमाचल प्रदेश नें आर्थिक संकट गहरा गया है। इसी का नतीजा है कि राज्य के इतिहास में पहली बार, राज्य के 2 लाख कर्मचारियों और 1.5 लाख पेंशनर्स को 1 तारीख को सैलरी और पेंशन नहीं मिल पाई।

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देश के छोटे राज्य हिमाचल प्रदेश पर वर्तमान में लगभग 94 हजार करोड़ रुपये का भारी कर्ज है। इस वित्तीय बोझ ने राज्य की वित्तीय स्थिति को अत्यधिक कमजोर कर दिया है। इसके कारण राज्य सरकार को पुराने कर्ज चुकाने के लिए नए कर्ज लेने पड़ रहे हैं। कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए राज्य सरकार पर लगभग 10 हजार करोड़ रुपये की देनदारियां बकाया हैं।

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हिमाचल प्रदेश सरकार को केंद्र से रेवेन्यू डिफिसिट ग्रांट के 520 करोड़ रुपये आने हैं। 5 सितंबर को ही राज्य सरकार की ट्रेजरी में यह धनराशि आएगी। इसके बाद ही कर्मचारियों को वेतन मिल सकेगा. हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों को हर महीने वेतन देने के लिए राज्य सरकार को 1 हजार 200 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते हैं। इसी तरह पेंशन देने के लिए हर महीने 800 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च होती है।

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सीएम सुखविंदर सिंह ने की थी ये अपील

हिमाचल प्रदेश की खराब आर्थिक स्थिति को देखते हुए सरकार ने बीते दिनों बड़ा फैसला लिया था। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने गुरुवार को एलान किया था कि मुख्यमंत्री, मंत्री, मुख्य संसदीय सचिव, बोर्ड निगमों के चेयरमैन दो महीने तक वेतन-भत्ता नहीं लेंगे। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने सभी विधायकों से भी वेतन-भत्ता दो महीने के लिए छोड़ने की मांग रखी थी।सीएम सुक्खू का कहना है कि चूंकि प्रदेश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है इसलिए वो दो महीने के लिए अपना और अपने मंत्रियों का वेतन-भत्ता छोड़ रहे हैं।

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2022 विस चुनाव में कांग्रेस ने कई बड़े वादे किए थे

बता दें कि, 2022 के चुनाव में सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस ने कई बड़े वादे किए थे। सरकार में आने के बाद इन वादों पर बेतहाशा खर्च किया जा रहा है। हिमाचल सरकार के बजट का 40 फीसदी तो सैलरी और पेंशन देने में ही चला जाता है। लगभग 20 फीसदी कर्ज और ब्याज चुकाने में खर्च हो जाता है।

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वेतन और पेंशन पर 2 हजार करोड़ रुपये का खर्च
कुल-मिलाकर यह खर्च 2 हजार करोड़ रुपये बनता है। फिलहाल, राज्य सरकार की ओर से वेतन 5 तारीख के बाद ही दिया जाएगा। कर्मचारी नेता संजीव शर्मा का दावा है कि राज्य सरकार की ओर से ट्रेजरी को यह कहा गया है कि वेतन कर्मचारियों को अभी वेतन न दिया जाए। हालांकि, इस तरह के कोई लिखित आदेश फिलहाल सामने नहीं आए हैं।

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हिमाचल की लोन लिमिट कितनी
हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार ने 15 दिसंबर 2022 से लेकर 31 जुलाई 2024 तक कुल 21 हजार 366 करोड़ रुपए का कर्ज लिया है। इनमें से 5 हजार 864 करोड़ रुपये का कर्ज वापस भी किया गया है। यही नहीं, राज्य सरकार ने जीएफ के अगेंस्ट भी 1 जनवरी, 2023 से 31 जुलाई, 2024 तक 2 हजार 810 करोड़ रुपये का लोन लिया है। जल्द ही हिमाचल प्रदेश के कर्ज का बोझ एक लाख करोड़ रुपये के पार होने वाला है। हिमाचल प्रदेश सरकार को हर महीने टैक्स और नॉन टैक्स रेवेन्यू से करीब 1 हजार 200 करोड़ रुपये की कमाई होती है। इस तरह रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट के 520 करोड़ रुपये और राज्य सरकार के अपने 1200 करोड़ रुपये के रेवेन्यू को मिलाकर वेतन और पेंशन दिया जाएगा। आने वाले महीने में यह परेशानी और भी ज्यादा बढ़ाने वाली है।

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