छत्तीसगढ़ सरकार के रेशम विभाग ने आदिवासियों के उत्थान और रोजगार मूलक कार्य के लिए रेशम उत्पादन के काम की शुरुआत की है. जहां शासकीय कोसा बीज केन्द्र से जुड़कर आदिवासी रोजगारोन्मुखी कार्य कर रहे हैं. इससे खेती किसानी के साथ-साथ अतिरिक्त आय भी हो रही है. जशपुर जिला मुख्यालय से करीब 55-60 किलोमीटर दूर स्थित बसे ग्राम बन्दरचुवा में शासकीय कोसा बीज केन्द्र स्थापित किया गया है. ये क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है, इसी केन्द्र के अन्तर्गत विकास खण्ड-बगीचा के ग्राम भितघरा में लगभग 20 हेक्टेयर में साजा, अर्जुन पौधरोपण किया गया है.

ग्राम भितघरा के निवासी बरनाबस तिग्गा जो कि इनके के द्वारा कोसा पालन कार्य किया जाता है, इनका पांच सदस्यों का ग्रुप है. इनके द्वारा जानकारी मिला कि वर्तमान में कोसा उत्पादन कार्य में सतुष्ट हैं. वे बताते हैं कि गरीब परिस्थिति और पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण अपना सपना पूरा नहीं कर पाते थे. छोटी-मोटी जरूरतों पर दुसरों के आगे हाथ फैलाना पड़ता था. कृषि भूमि भी कम होने के कारण अनाज का भी उत्पादन ज्यादा नहीं हो पाता था, लेकिन रेशम विभाग से जुड़कर हमारी आर्थिक स्थिति मजबुत हो गई है खेती किसानी के अलावा अतिरिक्त आय अर्जित कर पाते हैं. हमारी वार्षिक आय प्रत्येक व्यक्ति का लगभग राशि 90 हजार से 1 लाख तक हो जाती है. जिससे अपने बच्चों को अच्छे स्कूलों में शिक्षा दिला रहे और किसी प्रकार का जरूरतों को पुरा कर पाता हूं. परिवार के साथ खुशहाल जीवन यापन कर रहे हैं.

बरनाबस तिग्गा बताते हैं कि हमारा ग्रुप को सीएसबी (सेंट्रल सिल्क बोर्ड) अंबिकापुर से प्राप्त होता है और कोसा उत्पादन होने के बाद उन्हीं के द्वारा कोसा फल क्रय किया जाता है और प्रथम फसल में सी ग्रेड का कोसा उत्पादन होता है. साथ ही द्वितीय फसल में बी ग्रेड का कोसा फल उत्पादन होता है इस कोसा फल को बीज कोनसा फल के रूप में लिया जाता है. वित्तीय वर्ष-2023-24 में भी 05 लोगों का समूह बनाकर टसर कीट पालन कार्य किया गया है जिसका उत्पादन आना चालू हो गया हैं. जिसमें अच्छा आमदनी अर्जित होने की सम्भावना है.

सहायक संचालक रेशम श्याम कुमार बताते हैं कि जिले के जितने भी कोसा कृमिपालक को अच्छी आमदनी हो इस लिए अन्य राज्यों से अण्डे मंगाकर वितरण किया गया है. वर्तमान में सहायक संचालक रेशम जशपुर के पहल से जिले सभी कृमिपालकों को अच्छी उन्नत कोसा बीज अन्य राज्यों से मंगाकर लगभग 1 लाख डीएफएल्स वितरण कराया गया है. अनुमान लगाया जाता है कि लगभग 60-70 लाख कोसा उत्पादन होने की सम्भावना है. इससे कृमिपालको का रूझान और भी बढ़ती नजर आ रही है. श्याम कुमार सहायक संचालक रेशम कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों द्वारा रोजगार पाने के लिए अन्य राज्यों में पलायन करना पूरी तरह से बंद करने का प्रयास किया जा रहा है. इसके अलावा सहायक संचालक रेशम जशपुर के द्वारा कृमि पालक किसान से समय-समय पर मुलाकात कर उनको समझाईश देना और कृमि पालन में होने वाली परेशानी का जायजा लेना इत्यादि स्वयं उपस्थित होकर किया जाता है. इस प्रकार से कृमि पलकों से सम्पर्क हमेशा बनाकर उनकी परेशानियों का समाधान करते है लोगों तक रोजगार उपलब्ध कराना रेशम विभाग का मूल उद्देश्य है.

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