रायपुर। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूर्व आईएएस अधिकारी बाबूलाल अग्रवाल को रायपुर स्थित उनके निवास से सोमवार को गिरफ्तार किया है. बाबूलाल की गिरफ्तारी धन शोधन, भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति के मामले में हुई है. आज अग्रवाल को विशेष न्यायालय (पीएमएलए) अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जहां से उन्हें 12 नवंबर तक ईडी की हिरासत में भेज दिया गया है. फिलहाल आगे की जांच जारी है.
ईडी ने अपने जारी बयान में कहा है कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की गई. जिसमें बाबूलाल अग्रवाल और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा अर्जित की गई अनुपातहीन संपत्ति का खुलासा किया गया. बाबूलाल ने अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग कर करोड़ों रूपए की हेराफेरी की.
पीएमएलए के तहत जांच से पता चला है कि बाबूलाल अग्रवाल ने विश्व बैंक सहायता प्राप्त मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम से संबंधित निविदा अनुबंधों को विभाजित करने और कुछ गैर-मौजूदा संस्थाओं को उन्हें देने के लिए एक सक्रिय भूमिका निभाई. जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ और खुद को लाभ पहुंचाया.
इसके अलावा यह पता चला है कि उनके सीए सुनील अग्रवाल और उनके भाई अशोक अग्रवाल और पवन अग्रवाल के साथ मिलकर खरोरा और इसके आस-पास के गांवों के ग्रामीणों के नाम पर 400 से अधिक बैंक खाते खोले गए. जिनमें लगभग 46 करोड़ रुपए जमा किए गए. जिसे उनके सीए सुनील अग्रवाल और अन्य संस्थाओं द्वारा खोली गई शेल कंपनियों के माध्यम से लूटा गया. ईडी ने पहले ही 36.9 करोड़ रुपए की संपत्तियों को कुर्क कर लिया है. जिसमें मैसर्स प्राइम इस्पात लिमिटेड की कंपनी की संपत्ति शामिल है.
पहले भी हो चुकी है गिरफ्तारी
गौरतलब है कि 1988 बैच के आईएएस बाबूलाल अग्रवाल पर सीबीआई ने भ्रष्टाचार के मामले में 2010 में केस दर्ज किया था. जिसके बाद रिश्वत देने के मामले में 22 फरवरी 2017 को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था. आरोप है कि उस केस को खत्म कराने के लिए उन्होंने नोएडा और हैदराबाद के दो दलालों के माध्यम से पीएमओ को रिश्वत देने की कोशिश की थी. डील डेढ़ करोड़ में तय हुई थी जिसमें से 60 लाख नकद दिए जा चुके थे, बाकी रकम सोने के रूप में दी जानी थी.
36 करोड़ की संपत्ति हुई थी जब्त
दिल्ली से रायपुर पहुंची सीबीआई की टीम ने उनके घर में छापा मारा था. जहां से सोना और नकद रुपए बरामद किए गए थे. गिरफ्तारी के बाद आईएएस बाबूलाल अग्रवाल 73 दिनों तक जेल में रहे. ईडी ने बाबूलाल अग्रवाल और उनके भाइयों की 36 करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति जब्त की थी. उच्च शिक्षा विभाग में प्रमुख सचिव रहे बाबूलाल अग्रवाल की गिरफ्तारी के बाद राज्य सरकार ने उन्हें सस्पेंड कर दिया था.