Anil Ambani: 17000 करोड़ के लोन फ्रॉड मामल में अनिल अंबानी से ED की पूछताछ शुरू हो गई है। रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन ईडी के सवालों का सामना कर रहें हैं। ईडी की प्रारंभिक जांच में येस बैंक से लगभग 3,000 करोड़ रुपये के अवैध लोन ट्रांसफर (2017 से 2019 की अवधि) का पता चला है। बाद में अधिकारियों को रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड से जुड़े 14,000 करोड़ रुपये से अधिक के लोन फ्रॉड के बारे में जानकारी सामने आई थी।
संघीय जांच एजेंसी ने 1 अगस्त को उन्हें समन जारी करके आज अपने नई दिल्ली दफ्तर में हाजिर होने के लिए कहा था। वह मंगलवार सुबह मुंबई से फ्लाइट लेकर दिल्ली पहुंचे और पूछताछ के लिए ईडी दफ्तर में पेश हुए।
इससे पहले ईडी ने तीन दिन चले कार्रवाई में अनिल अंबानी की कंपनियों से जुड़े 35 ठिकानों और व्यक्तियों के यहां छापेमारी की थी। इस दौरान महत्वपूर्ण दस्तावेज, कम्प्यूटर हार्ड ड्राइव समेत अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स जब्त किए थे। जांच एजेंसी ने बैंकों को पत्र लिखकर अनिल अंबानी की कंपनियों को अप्रूव्ड लोन का ब्योरा भी मांगा है। ईडी ने 12-13 सार्वजनिक और निजी बैंकों को पत्र लिखकर रिलायंस हाउसिंग फाइनेंस, रिलायंस कम्युनिकेशंस और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस को दिए गए लोन पर की गई उचित जांच-पड़ताल का विवरण मांगा है।
इस मामले में ED ने की पहली गिरफ्तारी
संघीय जांच एजेंसी ने पिछले सप्ताह इस केस के संबंध में पहली गिरफ्तारी की थी। ईडी ने बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर पार्थ सारथी बिस्वाल को 1 अगस्त को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत 68.2 करोड़ रुपये की फर्जी बैंक गारंटी जमा करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। उन्होंने बताया कि ये बैंक गारंटी रिलायंस पावर की ओर से दी गई थी। अनिल अंबानी के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर भी जारी किया गया है।
₹17000 करोड़ के लोन फ्रॉड का मामला
ईडी की प्रारंभिक जांच में येस बैंक से लगभग 3,000 करोड़ रुपये के अवैध लोन ट्रांसफर (2017 से 2019 की अवधि) का पता चला है। बाद में अधिकारियों को रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड से जुड़े 14,000 करोड़ रुपये से अधिक के लोन फ्रॉड के बारे में पता चला। इसके बाद गत 24 जुलाई को ईडी ने दिल्ली और मुंबई में कम से कम तीन दिनों तक 35 ठिकानों पर छापेमारी की, जो 50 कंपनियों और 25 लोगों से जुड़े हैं। अनिल अंबानी की कंपनियों के कई अधिकारियों के यहां भी ईडी ने छापे मारे थे और 25 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की थी। इस कार्रवाई के बाद अनिल अंबानी की कंपनियों के शेयर बुरी तरह टूट गए। रिलायंस इंफ्रा से लेकर रिलायंस पावर तक के शेयरों में लोअर सर्किट लग गया। पिछले पांच दिनों में ही रिलायंस पावर का शेयर 11 फीसदी से ज्यादा टूट चुका है। वहीं रिलायंस इंफ्रा के शेयर में 10 फीसदी की गिरावट आई है।
सेबी ने की जांच
सेबी ने मई में ED, नेशनल फाइनेंशियल रीपोर्टिंग अथॉरिटी और इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया को इस मामले की स्वतंत्र जांच के लिए पत्र लिखा था। सेबी की जांच में पाया गया कि R Infra ने संबंधित पक्षों के लेनदेन में नियमों का पालन नहीं किया और CLE को तीसरी कंपनी बताकर वित्तीय विवरणों में गलत जानकारी दी। 31 मार्च 2022 तक R Infra का CLE में 8,302 करोड़ रुपये का निवेश था, जिसमें ICD, इक्विटी और कॉरपोरेट गारंटी शामिल हैं। सेबी की रिपोर्ट के अनुसार, 2013 से 2023 तक R Infra का CLE में खर्च उसकी कुल संपत्ति का 25-90% था. CLE को रिलायंस इन्फ्रा का संबंधित पक्ष माना गया, क्योंकि इसके बैंक खातों के हस्ताक्षरकर्ता रिलायंस ADA ग्रुप के ईमेल का इस्तेमाल करते थे। सेबी ने यह भी पाया कि अनिल अंबानी, रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन के रूप में, मार्च 2019 तक R Infra में 40% से अधिक शेयरधारिता और नियंत्रण रखते थे।
ED की कार्रवाई का असर नहीं: रिलायंस
इधर समूह की दो कंपनी ‘रिलायंस पावर’ और ‘रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर’ ने कहा था कि ईडी की कार्रवाई का उनके व्यवसाय संचालन, वित्तीय प्रदर्शन, शेयरधारकों, कर्मचारियों या किसी अन्य हितधारक पर कोई असर नहीं पड़ा है। कंपनियों ने कहा, ‘‘मीडिया में आई खबरों में जो जानकारी दी गई है वह 10 साल से भी पुरानी कंपनी ‘रिलायंस कम्युनिकेशन्स लिमिटेड’ (आरसीओएम) या ‘रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड’ (आरएचएफएल) के लेन-देन से संबंधित आरोपों से जुड़ी प्रतीत होती हैं।
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