मुंबई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को कंपनी और उसके प्रमोटर समीर गहलोत के खिलाफ अप्रैल 2021 में दर्ज किए गए पीएमएलए मामले के सिलसिले में मुंबई और दिल्ली में इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस के कार्यालयों पर छापेमारी की। कथित तौर पर कुछ आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद हुए। ईडी ने इंडियाबुल्स के अधिकारियों से कुछ क्लाइंट्स के बारे में भी पूछताछ की। इंडियाबुल्स के अधिकारियों ने उनका डेटा ईडी को मुहैया कराया था।
अब कंपनी ने एक बार फिर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को पत्र लिखकर उन्हें चल रहे मामले की जानकारी दी है। इंडियाबुल्स के अधिकारियों ने आईएएनएस से बात करते हुए छापेमारी की पुष्टि की और कहा कि ईडी ने कुछ ग्राहकों के बारे में पूछा।
ईडी की जांच अप्रैल 2021 में महाराष्ट्र के पालघर में दर्ज एक प्राथमिकी पर आधारित है। प्राथमिकी आशुतोष कांबले नाम के व्यक्ति ने दर्ज की थी।
इंडियाबुल्स के एक अधिकारी ने कहा, “कंपनी और उसके अधिकारियों ने ग्राहकों का डेटा प्रवर्तन निदेशालय को उपलब्ध कराया है।” अधिकारियों ने आरोप लगाया कि कांबले जबरन वसूली और ब्लैकमेलिंग रैकेट का हिस्सा थे।
कंपनी ने एक बयान में कहा, “एफआईआर पहले की कई झूठी, कष्टप्रद और दुर्भावनापूर्ण शिकायतों का कॉपी-पेस्ट है जिसे ब्लैकमेलर पिछले तीन वर्षो से प्रसारित कर रहे हैं। अभय यादव के नाम से दायर एक याचिका में इसी तरह के आरोपों को 2019 में शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया था। कंपनी ने पिछले साल पालघर में कंपनी के खिलाफ दर्ज झूठी और दुर्भावनापूर्ण प्राथमिकी को रद्द करने के लिए तुरंत बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। बॉम्बे हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने 27 अप्रैल, 2021 को इस मामले में सभी जांचों पर रोक लगाते हुए एक विस्तृत आदेश पारित किया था।”
इससे पहले, इंडियाबुल्स ने 28 अप्रैल, 2021 को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज से संपर्क किया था। उसने चल रहे मामले के बारे में स्पष्टीकरण के संबंध में एनएसई को एक पत्र लिखा था।
ईडी ने इससे पहले पुणे के एक कारोबारी का बयान दर्ज किया था जो रियल एस्टेट का कारोबार करता है। सोमवार की छापेमारी को लेकर ईडी के अधिकारियों ने रविवार को बैठक की, जिसमें कुछ आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद करने के लिए अलग-अलग टीमों का गठन किया गया।
दिल्ली हाईकोर्ट ने ईडी को कंपनी के खिलाफ जांच रोकने का आदेश जारी किया था। इसने ईडी से कंपनी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने को भी कहा था।