हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्य प्रदेश में शराब कारोबार से जुड़े बड़े घोटाले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शिकंजा कस दिया है। ईडी की टीमों ने सोमवार सुबह से भोपाल, इंदौर और मंदसौर में अलग-अलग शराब ठेकेदारों के 11 परिसरों पर एक साथ तलाशी अभियान चलाया। इस कार्रवाई में कई दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य जब्त किए गए हैं।

ईडी ने यह कार्रवाई शराब ठेकेदारों के खिलाफ दर्ज एफआईआर के आधार पर शुरू की है। आरोप है कि ठेकेदारों ने ट्रेजरी चालानों में बड़े पैमाने पर जालसाजी और हेराफेरी कर सरकारी राजस्व को 49 करोड़ 42 लाख 45 हजार 615 रुपये का नुकसान पहुंचाया। इसके अलावा वर्ष 2015-16 से 2017-18 के बीच शराब अधिग्रहण के लिए अवैध तरीके से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) भी प्राप्त किए गए।

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कैसे हुआ घोटाला ?

जांच में सामने आया है कि आरोपी ठेकेदार छोटी-छोटी रकम के ट्रेजरी चालान बनाकर बैंक में जमा करते थे। चालान के फॉर्मेट में जहां ‘रुपये अंकों में’ रकम भर दी जाती थी, वहीं ‘रुपये शब्दों में’ लिखने के बाद खाली जगह छोड़ दी जाती थी। बाद में जमा करने के बाद, उसी खाली स्थान पर बड़ी रकम जैसे लाखों और करोड़ों रुपये जोड़कर लिख दिया जाता था। इन फर्जी चालानों की प्रतियां देशी मदिरा गोदामों या विदेशी मदिरा गोदामों में जमा करवाई जाती थी। इस तरीके से असली जमा राशि कम दिखाकर सरकारी खजाने में करोड़ों का चूना लगाया गया।

अधिकारियों की मिलीभगत का आरोप

ईडी की जांच में यह भी सामने आया है कि इस घोटाले में तत्कालीन आबकारी आयुक्त संजीव दुबे (जो अब संजय दुबे के नाम से जबलपुर आबकारी आयुक्त पद पर कार्यरत हैं) की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है। उन पर शराब कारोबारियों के साथ मिलीभगत कर राजस्व में लगभग 71 करोड़ रुपये का नुकसान करने का आरोप है। ईडी की टीमों ने छापेमारी के दौरान कई शराब कारोबारियों के ठिकानों पर दस्तावेजी सबूत जुटाए हैं। जिन शराब कारोबारियों के नाम इस मामले में सामने आए हैं, उनके परिसरों पर भी तलाशी की कार्रवाई की गई है।

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जांच जारी, बड़े खुलासों की उम्मीद

सूत्रों के अनुसार, जब्त दस्तावेजों और डिजिटल रिकॉर्ड्स की गहन जांच की जा रही है। शुरुआती जांच के बाद ईडी इस घोटाले में शामिल अन्य अधिकारियों और कारोबारियों के खिलाफ भी कार्रवाई कर सकती है। माना जा रहा है कि इस घोटाले का दायरा और भी बड़ा हो सकता है।

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