प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुवार को जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड (Jaypee Infratech Ltd) के प्रबंध निदेशक मनोज गौड़ को गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी मनी लॉन्ड्रिंग और घर खरीदारों के पैसों की हेराफेरी से जुड़े एक बड़े वित्तीय घोटाले के सिलसिले में की गई है। ईडी के अधिकारियों के अनुसार, जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड (JAL) और उससे जुड़ी कंपनियों ने मनोज गौड़ के माध्यम से करीब 12,000 करोड़ रुपये की अनियमितताओं को अंजाम दिया। जांच में पता चला है कि घर खरीदारों से लिए गए हजारों करोड़ रुपये को अन्य प्रोजेक्ट्स और समूह की कंपनियों में डायवर्ट किया गया, जिससे रियल एस्टेट परियोजनाएं अधूरी रह गईं।
अधिकारियों ने बताया कि गौड़ को मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक अधिनियम (PMLA) के तहत गिरफ्तार किया गया है। उन्हें शुक्रवार को विशेष अदालत में पेश किया जाएगा, जहां ईडी उनकी कस्टडी रिमांड की मांग कर सकती है। ईडी की कार्रवाई से पहले सीबीआई ने भी इस मामले में 2023 में प्राथमिकी दर्ज की थी। जांच में सामने आया था कि जेपी इंफ्राटेक और जेपी एसोसिएट्स ने हजारों निवेशकों और घर खरीदारों से वादा किए गए फ्लैट समय पर नहीं दिए और उनकी रकम का दुरुपयोग किया गया। सूत्रों के मुताबिक, ईडी ने हाल ही में नोएडा और ग्रेटर नोएडा स्थित कई प्रोजेक्ट्स और कार्यालयों पर छापे भी मारे थे, जिनमें कई अहम दस्तावेज और डिजिटल डेटा बरामद हुए।
खरीदारों के पैसों का कथित दुरुपयोग
ईडी का कहना है कि यह रकम निर्धारित निर्माण कार्यों में लगाने के बजाय समूह की वित्तीय जरूरतें पूरी करने और पुराने कर्जों को चुकाने में खर्च की गई। इस वजह से हजारों खरीदारों को न तो घर मिले और न ही उनका निवेश वापस हुआ। कई निवेशक पिछले कई वर्षों से एनसीएलटी और उपभोक्ता अदालतों में न्याय की गुहार लगा रहे हैं। वहीं, ईडी ने इस मामले में कहा है कि घर खरीदारों के पैसे की हेराफेरी और फर्जी ट्रांजेक्शनों को लेकर अब तक कई दस्तावेज और बैंक रिकॉर्ड जब्त किए जा चुके हैं।
जांच से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, साल 2017 में कई एफआईआर दर्ज की गई थीं, जब हजारों घर खरीदारों ने जेपी ग्रुप के अधूरे प्रोजेक्ट्स को लेकर नोएडा और ग्रेटर नोएडा में विरोध प्रदर्शन किया था। खरीदारों का आरोप था कि बिल्डर ने उनके पैसे को आवास परियोजनाओं के बजाय अन्य कंपनियों और प्रोजेक्ट्स में घुमा दिया, जिससे न तो उन्हें घर मिला और न ही निवेश का रिटर्न।
ईडी अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस गड़बड़ी की कुल राशि कितनी है और इसमें कंपनी के किन-किन अधिकारियों और इकाइयों की भूमिका रही। जांच अधिकारियों का मानना है कि मनोज गौड़ की गिरफ्तारी से कई महत्वपूर्ण वित्तीय कड़ियाँ खुल सकती हैं, जिससे समूह की फंडिंग और मनी ट्रांसफर नेटवर्क का पूरा नक्शा सामने आ सकेगा।
मई 2025 में हुई थी बड़ी छापेमारी
जेपी इंफ्राटेक और उससे जुड़ी कंपनियों पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस साल मई 2025 में देशभर में बड़ी कार्रवाई की थी। मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक कानून (PMLA) के तहत की गई इस छापेमारी में एजेंसी ने दिल्ली, मुंबई और अन्य प्रमुख शहरों में लगभग 15 ठिकानों पर तलाशी ली थी। 23 मई 2025 को हुई इस कार्रवाई के दौरान ईडी अधिकारियों ने महत्वपूर्ण दस्तावेज, डिजिटल डिवाइस, बैंक रिकॉर्ड और लेनदेन से जुड़े साक्ष्य जब्त किए थे। इसके अलावा 1.70 करोड़ रुपये नकद भी एजेंसी ने अपने कब्जे में लिए थे।
अधिकारियों का कहना है कि इन दस्तावेजों से यह पता लगाया जा रहा है कि घर खरीदारों और निवेशकों से जुटाए गए हजारों करोड़ रुपये को किस तरह जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड (JAL) और उसकी सहयोगी कंपनियों के माध्यम से अन्य गैर-आवासीय परियोजनाओं में डायवर्ट किया गया। जांच एजेंसी का मानना है कि यह धन रियल एस्टेट के नाम पर मनी लॉन्ड्रिंग के जटिल नेटवर्क के जरिए इधर-उधर किया गया।
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