झारखंड सरकार के ग्रामीण निर्माण विभाग में ‘भ्रष्टाचार’ के लिए पूरा ‘सिंडिकेट’ काम कर रहा था। इसका खुलासा ED ने अपनी जांच में किया है। इस पूरे सिंडीकेट में मंत्री, चीफ इंजीनियर, पीए और ठेकेदार की टोली शामिल रही। सरकारी टेंडर के लिए ‘साहब’ का स्टाफ, निर्धारित कमीशन वसूलता था। इसके बाद ‘सिंडिकेट’ के सामने यह परेशानी यह भी आई कि काले धन को सफेद कहां से कराया जाए। लेकिन इसका जरिया भी खोज लिया गया। आरोपियों ने इस अवैध नकदी को दिल्ली स्थित चार्टर्ड अकाउंटेंट्स और एंट्री ऑपरेटरों के एक नेटवर्क के माध्यम से सफेद किया गया।

ईडी की जांच में क्या आया सामने?

ईडी की जांच से ‘ग्रामीण निर्माण विभाग’ में एक बड़े भ्रष्टाचार गिरोह का पता चला है। पहले की शिकायतों में तत्कालीन मुख्य अभियंता वीरेंद्र कुमार राम की अवैध कमीशन वसूली में भूमिका का विस्तृत विवरण था। ईडी की जांच में ग्रामीण विकास विभाग के तत्कालीन मंत्री आलमगीर आलम की भूमिका का भी खुलासा हुआ, जिन्हें कथित तौर पर निविदाओं पर एक निश्चित कमीशन मिलता था। यह कमीशन उनके निजी सचिव संजीव कुमार लाल और उनके सहयोगियों द्वारा वसूला जाता था।

पहले ली गई तलाशी में 37 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की गई

इस मामले में पहले की गई तलाशी में इस गिरोह से जुड़ी 37 करोड़ रुपये से अधिक की नकदी जब्त की गई थी। इस अवैध नकदी को फिर दिल्ली स्थित चार्टर्ड अकाउंटेंट्स और एंट्री ऑपरेटरों के एक नेटवर्क के माध्यम से सफेद किया गया। कई उच्च-मूल्य वाली संपत्तियां हासिल करने के लिए इस राशि का इस्तेमाल किया गया।

जांच एजेंसी ने अपनी चौथी पूरक अभियोजन शिकायत में कई ठेकेदारों की विशिष्ट भूमिकाओं का विवरण पेश किया है। इन्होंने रिश्वत देकर ‘अपराध की आय’ यानी पीओसी तैयार की थी। ठेकेदार राजेश कुमार (अपनी कंपनियों मेसर्स राजेश कुमार कंस्ट्रक्शन्स प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स परमानंद सिंह बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ) ने 1.88 करोड़ रुपये की रिश्वत देने और अवैध रूप से दो लग्जरी गाड़ियां (एक टोयोटा इनोवा और एक टोयोटा फॉर्च्यूनर) उपलब्ध कराने की बात स्वीकार की है। एक अन्य ठेकेदार, राधा मोहन साहू ने 39 लाख रुपये की रिश्वत देने और इसी उद्देश्य के लिए अपने बेटे अंकित साहू के नाम पर पंजीकृत एक टोयोटा फॉर्च्यूनर उपलब्ध कराने की बात स्वीकार की है। तीनों पीओसी गाड़ियां, वीरेंद्र कुमार राम के कब्जे से जब्त कर ली गईं।

इस शिकायत में अवैध नकदी का प्रबंधन करने वाले अन्य प्रमुख माध्यमों और सहयोगियों पर भी आरोप लगाए गए हैं। वीरेंद्र कुमार राम के सहयोगी, अतीकुल रहमान उर्फ अतीकुल रहमान अंसारी के परिसरों की तलाशी में 4.40 लाख रुपये नकद जब्त किए गए। अधिकारियों के लिए माध्यम का काम करने वाले ठेकेदार राजीव कुमार सिंह के आवास पर एक अलग तलाशी में 2.13 करोड़ रुपये की अस्पष्टीकृत नकदी जब्त की गई। राजीव कुमार सिंह ने लगभग 15 करोड़ रुपये की कमीशन राशि इकट्ठा करने और उसका इस्तेमाल करने की बात स्वीकार की है। इसके अलावा, सह-आरोपी संजीव कुमार लाल (तत्कालीन मंत्री के निजी सचिव) की पत्नी रीता लाल पर पीओसी के साथ संपत्ति अर्जित करने और दागी धन को वैध आय के रूप में प्रदर्शित करने का आरोप लगाया गया है।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), रांची जोनल कार्यालय ने अब झारखंड सरकार के ग्रामीण निर्माण विभाग के भीतर एक बड़े भ्रष्टाचार सिंडिकेट की चल रही मनी लॉन्ड्रिंग जांच में विशेष पीएमएलए कोर्ट, रांची के समक्ष 22 अक्तूबर को अपनी चौथी पूरक अभियोजन शिकायत (पीसी) दायर की है। इस पूरक शिकायत में ठेकेदारों, सहयोगियों और अधिकारियों के परिवार के सदस्यों सहित आठ नए आरोपियों को अपराध की आय (पीओसी) के उत्पादन, प्रबंधन और धन शोधन में उनकी सक्रिय भूमिका के लिए आरोपित किया गया है।

आरोपियों की संख्या 22 तक पहुंच गई

इस चार्जशीट के साथ, मामले में आरोपित किए गए आरोपियों की कुल संख्या 22 तक पहुंच गई है। ईडी की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी), जमशेदपुर द्वारा दर्ज एक पूर्व अपराध पर आधारित है, जिसमें एक कनिष्ठ अभियंता, सुरेश प्रसाद वर्मा को रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया था। जांच में अब तक 44 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की संपत्तियों की पहचान की गई है। इन्हें अस्थायी रूप से कुर्क किया गया है। ईडी ने न्यायालय से इस शिकायत में नामित सभी आरोपियों के विरुद्ध मुकदमा चलाने और पीओसी के रूप में पहचानी गई सभी संपत्तियों को जब्त करने का अनुरोध किया है। मामले में आगे की जांच जारी है।

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