नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को फैसला दिया कि किसी प्रकाशन में कोई लेख छपने पर मुख्य संपादक के खिलाफ अवमानना का मुकदमा नहीं चलाया जा सकता. यह तभी चलाया जा सकता है जब आरोप विशेष रूप से मुख्य संपादक पर हों. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस यूयू ललित की पीठ ने प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ बुक्स ऐक्ट, 1867 की धारा 7 कहती है कि अखबार या मैगजीन में में छपी सामग्री के लिए संपादक और मुद्रक जिम्मेदार होगा. मुख्य संपादक या एडिटर इन चीफ इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा. यह तभी संभव है जब मुख्य संपादक के खिलाफ आरोप पर्याप्त और विशेष रूप से लगाए गए हों.
एक मामले की सुनवाई करते हुए अदालन ने कहा कि इस मामले में इंडिया टुडे के मुख्य संपादक अरुण पुरी के खिलाफ कोई आरोप नहीं है. ऐसे में यह नहीं माना जा सकता कि मुख्य संपादक भी लेख के लिए जिम्मेदार हैं. यह कहते हुए कोर्ट ने अरुण पुरी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला समाप्त कर दिया. यह मामला ‘मिशन मिसकनडक्ट’ नाम के न्यूज आर्टिकल से संबंधित था, जो इंडिया टुडे (23.04.2007 से 30.04.2007 की अवधि के लिए) में प्रकाशित हुआ था. इसमें कहा गया था कि विदेशी कार्यालय के लिए शर्मिंदगी की एक कड़ी में, तीन भारतीय अधिकारी को यौन दुराचार, वीजा जारी करने में भ्रष्टाचार और अवैध अप्रवासियों को भारतीय पासपोर्ट की बिक्री के गंभीर आरोपों के बाद ब्रिटेन में उच्चायोग को तुरंत वापस बुलाना पड़ा.
ये खबरें भी जरूर पढ़े-
- राजस्व सेवा में पदोन्नति : प्रदीप हेड़ाऊ बने प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त…
- शपथ लेते ही डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान को दिया झटका, कुछ ऐसा कहा जिससे ‘आतंकिस्तान’ की उड़ गई नींद- Donlad Trump On Pakistan
- यूपी में इनाम पाने के लिए ड्राइवर और कंडक्टर करेंगे ये काम, बस सफर करने वाले यात्रियों को होगी सुविधा
- ये क्याः कप्तान साहब के दफ्तर के बाहर भिड़ गए दरोगा जी और सिपाही, मारपीट का वीडियो वायरल
- MP Weather Update: दो दिन बाद फिर बदलेगा मौसम का मिजाज, राजधानी समेत कई शहरों में खिली धूप, ग्वालियर-चंबल में बारिश के आसार