एक ओर जहां सूबे के मुखिया डॉ रमन सिंह अपने सरल और सौम्य व्यवहार के लिये देश भर में चर्चित रहते हैं,वहीं दूसरी ओर उनके सरकार के कुछ मंत्री अपने द्वारा किये गये दुर्व्यवहार के कारण सुर्खियां बटोरते हैं. गुरुवार को कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने एक पत्रकार के साथ जो व्यवहार किया,वो बेहद आपत्तिजनक था.
पत्रकार ने फसल बीमा योजना में किसानों की ओर से मिल रही शिकायत पर जब मंत्री जी से सवाल पूछा,तो मंत्री जी अपना आपा खो बैठे और भड़कते हुए उल्टे पत्रकार के सामान्य ज्ञान की टेस्टिंग करने लगे. दरअसल मंत्री जी को अपनी असफलता के बारे में सुनना बिलकुल पसंद नहीं है,शायद इसीलिये तो उन्होनें इस तरह का रिएक्शन दिया. पत्रकार ने जो सवाल किया था वह साधारण ही था कि फसल बीमा योजना में किसानों को भुगतान नहीं मिलने की शिकायत आ रही है,लेकिन इतना सुनते ही मंत्री जी को गुस्सा आ गया और वो पत्रकार से बीमा की परिभाषा पूछने लगे. इतना ही नहीं मंत्री जी ने तो पत्रकार को अनपढ़ तक कह दिया.
जबकि हकीकत ये है कि लोक सुराज अभियान में फसल बीमा योजना को लेकर कई शिकायतें आई थी और एक समीक्षा बैठक में खुद मंत्री जी ने ही फसल बीमा का भुगतान नहीं होने पर अधिकारियों के खिलाफ नाराजगी जाहिर की थी. अब ऐसे में यदि किसी जिले से किसानों की शिकायतें आ रही है,तो मंत्री जी को इसका शालीनता से जवाब देना चाहिये था. लेकिन उनका इस प्रश्न पर असहज हो जाना और गुस्सा करना यही साबित करता है कि मंत्री जी को नकारात्मक सवाल पसंद नहीं है और ऐसा हिम्मत दिखाने वाले पत्रकार परिणाम भुगतने के लिये तैयार रहें. इससे पहले भी कुछ मौकों पर मंत्री जी पत्रकारों के कुछ सवालों पर नाराज होते दिखाई दे चुके हैं.
ये तो बात हुई कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल की. अब संदर्भ आ ही गया है तो सरकार के एक और मंत्री के व्यवहार की चर्चा कर लेते हैं. अब आप समझ ही गये होंगे कि मैं किसके व्यवहार की चर्चा करने वाला हूं. बिलकुल सही समझे,मैं बात करना चाहता हूं पंचायत मंत्री अजय चंद्राकर की,जिनका व्यवहार भी हमेशा चर्चा में बना रहता है. उनसे मुलाकात करने आने वाले ज्यादातर लोग जब बाहर निकलते हैं,तो उनके व्यवहार को लेकर हमेशा निराश होकर निकलते हैं. अजय चंद्राकर जिन जिलों के प्रभारी मंत्री हैं,वहां के पार्टी कार्यकर्ता भी हमेशा उनके व्यवहार को लेकर भयभीत रहते हैं.
कुछ महीने पहले मंत्री जी अपने प्रभार वाले मुंगेली जिले के दौरे पर थे,उस समय भाजपा के मंडल अध्यक्ष मिट्ठू लाल यादव ने मंत्री जी को एक आवेदन दिया. इस आवेदन को देखते ही मंत्री जी इस कदर भड़के कि उन्होनें कई कार्यकर्ताओं के सामने यादव को खूब खरी खोटी सुनाई और कहा कि तुमको मंडल अध्यक्ष किसने बना दिया. इसी दौरान गृह निर्माण मंडल के पूर्व सदस्य गिरीश शुक्ला ने भी मंत्री जी को कुछ सुझाव दिया, इस पर भी मंत्री जी भड़क गये और कहने लगे कि “अब आप मुझे सिखायेंगे क्या”. मंत्री जी की इस बात से वहां पर मौजूद कार्यकर्ता सन्न रह गये. मुंगेली के एक भाजपा पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि अब तो हम प्रभारी मंत्री के आगमन पर स्वागत करने और माला पहनाने से भी कतराने लगे हैं,क्योंकि पता नहीं मंत्री जी किस समय किस बात पर सबके सामने उनको झिड़क दें.
कुल मिलाकर बात ये है कि कुछ मंत्री लगातार सत्ता में रहते रहते अहंकार और सत्ता के नशे में चूर हो गये हैं. आने वाला साल चुनावी साल है और यदि मंत्रियों का पत्रकारों और पार्टी कार्यकर्ताओं से यही व्यवहार रहा,तो पार्टी को इसकी कीमत चुकानी पड सकती है. उम्मीद की जानी चाहिये कि ऐसे मंत्री अपने व्यवहार में जल्द सुधार लायेंगे.
- मनोज सिंह बघेल मध्यप्रदेश/छत्तीसगढ़ के प्रतिष्ठित चैनल स्वराज एक्सप्रेस के संपादक हैं.
- यह लेखक के निजी विचार हैं