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लेखक -वैभव बेमेतरिहा


जय हो…जय बोलो….। बस
! सच बस मत बोलों । नहीं तो…नहीं तो क्या ? छत्तीसगढ़ सरकार भईया…छत्तीसगढ़ सरकार। बाबूलाल जिहां मालामाल…वर्षा के पोस्ट मा होत बवाल..  रे भईया छत्तीसगढ़ सरकार।

गजब है भईया…बहुते गजब है। गजबे ही नहीं बल्कि बहुते अजब भी है। और नहीं तो का सरकार भी कोनो अइसन बेरहम थोड़े होत है। वर्षा ने भला ऐसा कोन सा गुनाह कर दी कि उंखर खिलाफ जांच भी हो गई और जांच के बाद कार्रवाई भी। सजा भी सीधे निलंबन की।

अब सरकार जी ये कोन सा न्याय होवय ये बताव। आपके बहुत से अधिकारी है जिन्होंने कई विवादित पोस्ट लिखे लेकिन क्या आपने उन्हें निलंबित किया ? क्या उनके खिलाफ विभागीय जांच हुई ? मेनन से लेकर तायल तक सरकार को कटघरे में खड़े कर घायल करते रहें। सोशल मीडिया पर शासन की नीति से लेकर आपकी पार्टी की रीति तक को लेकर टिप्पणी करते रहें। लेकिन उन पर तो निलंबन की गाज गिरी नहीं।  और तो और  भ्रष्टाचार के आरोपी अधिकारियों को तो आप प्रमोशन ही देते रहे। आपके यहां के बाबू लाल पर लाल हुए जा रहे हैं और आप वर्षा को बरसने रोकने पर तुले हैं।

लगता नहीं सूबे के मुखिया ऐसा कुछ सोच रहे होंगे, उन्हें पीड़ा होती होगी आलोचना करने वालों से। क्योंकि जो संवेदनशील होते हैं, जो सौम्य होते हैं, जिनके विचारों में पवित्रता होती, जो न्यायप्रिय और निष्पक्ष होते हैं। वह भला एक सधारण फेसबुक पोस्ट से विचलित कैसे हो सकते हैं ?

जो लोक के बीच सुराज लाने में लगे है वह उस लोक में लोक की आवाज को क्या दबाने में लगे हैं ? ये सवाल अगर इस तरह की कार्रवाई होगी तो जाहिर उठेंगे ही। क्योंकि हरित प्रदेश को हरा रखने के लिए वर्षा जरूरी है। वर्षा नहीं हुई तो मानिए संवेदनाओं का सूखा पड़ जाएगा। दर्द की इंतहा हो जाएगी।

सरकार तो मरहम लगाने का काम करती है जख्म देने का नहीं। लेकिन ये क्या 13 साल तक जंग लड़ने वाली साहसी को हराने की कोशिश हो रही है। बस्तर के दर्द लिखना बताव भला कौन सा जुर्म हो गया है। आदिवासियों की पीड़ा, संघर्ष, यातना-प्रताड़ना और शासन-प्रशासन के काम-काज पर ही तो सवाल उठाए थे।

गजब का सिस्टम है आपके शासन का। दुःख होता ऐसे अव्यवहारिक व्यवहार पर। क्रोध भी खूब आते है। जिसे बंद करना चाहिए वह आपने जोर-शोर और दल-बल के साथ खोल ली है। समझ नहीं आत ये कौन सा प्रदेश बनत हे छत्तीसगढ़। जिहां होना चाहिए शराबबंदी पर इहां तो सरकार जुबानबंदी में लगे हैं। आज वर्षा, कल कोई और। क्या ये कार्रवाई प्रदेशवासियों के लिए चेतवानी है ? हे सरकार ! ऐसा है तो जरा सबके साथ..सबका विकास का नारा हटवा लीजिए। और लगवा दीजिए ये नारा….यहां बस्तर के दर्द लिखने पर पाबंदी है, यहां जुबानबंदी है  !