अनिल अंबानी की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप (एडीएजी) के चेयरमैन के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (LoC) जारी किया है। इसका सीधा मतलब है कि उन पर देश छोड़ने पर रोक लगा दी गई है। ईडी ने उन्हें 17,000 करोड़ रुपये के लोन फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 5 अगस्त को पूछताछ के लिए बुलाया है। यह ऐक्शन मुंबई और अन्य शहरों में एडीएजी की कंपनियों से जुड़े 50 से ज्यादा ठिकानों पर ईडी की ओर से की गई छापेमारी के बाद हुई है। 25 से ज्यादा लोगों से भी पूछताछ की गई थी।ईडी की जांच मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत शुरू की गई है। जांच वित्तीय अनियमितताओं और लोन के गलत इस्तेमाल के एक जटिल नेटवर्क पर केंद्रित है।
ईडी को शक है कि अनिल अंबानी ने लोन में गड़बड़ी की है। उन्होंने लोन को गलत तरीके से इस्तेमाल किया है। जांच एजेंसी ने इस मामले में कई जगह छापेमारी की है। ईडी ने अनिल अंबानी को पूछताछ के लिए भी बुलाया था। यह मामला 3,000 करोड़ रुपये के लोन फ्रॉड से जुड़ा है।
लुकआउट सर्कुलर (LoC) जारी करने का मतलब ?
3,000 करोड़ रुपये के कर्ज धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में लुकआउट सर्कुलर (LoC) जारी करना और यात्रा प्रतिबंध लगाना, यह दर्शाता है कि जांच एजेंसी इस मामले को कितनी गंभीरता से ले रही है। अनिल अंबानी के खिलाफ एलओसी जारी करना सामान्य कदम नहीं है। यह तब किया जाता है जब जांच एजेंसी को लगता है कि आरोपी व्यक्ति देश छोड़कर भाग सकता है या जांच में सहयोग नहीं कर रहा है।
इस कदम से सभी हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर अलर्ट जारी हो गया है। इससे अनिल अंबानी की विदेश यात्राओं पर रोक लग गई है। यह एक साफ संकेत है कि ईडी इस मामले की तह तक जाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। वह अनिल अंबानी की उपस्थिति को सुनिश्चित करना चाहती है।
कंपनियों ने कही ये बात
इस मामले पर रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने स्टॉक एक्सचेंजों को बयान जारी किए हैं। उन्होंने बताया कि अनिल अंबानी फिलहाल उनके बोर्ड में नहीं हैं। कंपनियों ने कहा कि जांच रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) और रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) जैसी पुरानी कंपनियों के लेनदेन से संबंधित है। इन कार्रवाइयों का रिलायंस पावर या रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के मौजूदा कामकाज पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
क्या है पूरा मामला ?
अधिकारियों का कहना है कि यह जांच सीबीआई की ओर से दर्ज एफआईआर और सेबी जैसे अन्य नियामक निकायों की रिपोर्ट पर आधारित है। ईडी की जांच में लोन के गलत इस्तेमाल के आरोपों पर ध्यान दिया जा रहा है। विशेष रूप से, 2017 और 2019 के बीच यस बैंक की ओर से अंबानी की ग्रुप कंपनियों को दिए गए 3,000 करोड़ रुपये के लोन पर सवाल उठाए जा रहे हैं। जांचकर्ताओं ने कई अनियमितताओं की बात कही है। इसमें बैकडेटेड क्रेडिट अप्रूवल, उचित जांच की कमी और विभिन्न ग्रुपों और शेल कंपनियों को फंड का गलत इस्तेमाल शामिल है।
एक और महत्वपूर्ण घटनाक्रम में ईडी एक फर्जी बैंक गारंटी रैकेट की भी जांच कर रहा है। इस जांच में सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) को अनिल अंबानी ग्रुप से जुड़ी एक कंपनी की ओर से जमा की गई 68.2 करोड़ रुपये की एक फर्जी बैंक गारंटी का पता चला है। आरोप है कि यह फर्जी गारंटी एसबीआई की नकली ईमेल आईडी से भेजे गए जाली संचार के जरिए दी गई थी।
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