दिल्ली . शिक्षा मॉडल को लेकर चर्चा में रहने वाली दिल्ली सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के बच्चों के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. बेहतर शिक्षा मॉडल देने के लिए दिल्ली सरकार पूरे प्रयास में जुटी है. यही वजह है कि एक के बाद एक दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था को बदलने और आसान बनाने के लिए सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए जा रहे हैं. केजरीवाल सरकार के रुख से साफ है कि दिल्ली में प्राइवेट स्कूलों के संचालकों की मनमानी अब नहीं चलेगी. ईडब्ल्यूएस कोटे से छात्रों को अब बिना किसी बाधा के एडमिशन मिल सकेगा.
आतिशी ने कहा कि डीसीपीआर और शिक्षा विभाग की एक संयुक्त कमेटी बनाई जाएगी, जो प्रवेश प्रक्रिया पर पूरी नजर रखेगी. प्रवेश से संबंधित सभी प्रकार की जानकारी के लिए शिक्षा विभाग द्वारा सीधे अभिभावकों को मोबाइल पर मैसेज भेजा जाएगा. इसके साथ ही हर जिले में एक नोडल ऑफिसर नियुक्त किया जाएगा जो प्रवेश संबंधित सभी प्रकार की प्रक्रिया पर नजर रखेगा. अभिभावकों को कोई भी परेशानी होने पर वह नोडल ऑफिसर से संपर्क कर सकेंगे. अगर EWS आरक्षण के साथ प्राइवेट स्कूलों द्वारा मनमाना रवैया अपनाया जाता है तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
शिक्षा मंत्री आतिशी ने प्राइवेट स्कूल संचालकों की मनमानी को रोकने के लिए 4 सूत्रीय एक्शन प्लान बनाया है-
1. शिक्षा विभाग और डीसीपीआर की एक संयुक्त कमेटी बनाई जाएगी, जो एडमिशन प्रोसेस पर नजर रखेगी.
2. सभी जिलों में एक नोडल ऑफिसर नियुक्त किया जाएगा, जो सभी स्कूलों पर नजर रखेगा. इसके साथ ही एडमिशन संबंधी किसी भी प्रकार की परेशानी होने पर पेरेंट्स नोडल ऑफिसर से संपर्क कर सकेंगे.शिक्षा निदेशालय द्वारा हर हफ्ते इसकी रिपोर्ट भी शिक्षा मंत्री को भेजी जाएगी.
3. प्रवेश से संबंधित सभी प्रकार की जानकारी के लिए शिक्षा विभाग द्वारा पेरेंट्स को SMS भेजे जाएंगे.
4. स्कूलों द्वारा दाखिला नहीं देने पर उन पर उचित कार्रवाई की जाएगी.
EWS (Economically Weaker Section) क्या है?
EWS यानी कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को शिक्षा और सरकारी नौकरी में आरक्षण देने के लिए सरकार द्वारा साल 2019 में संविधान में 103वां संशोधन किया गया, जिसके तहत ये नियम बनाया गया. इसमें सालाना 8 लाख रुपये से कम आय वाले व्यक्तियों को EWS श्रेणी में शामिल कर उन्हें 10 फीसदी आरक्षण का लाभ दिया जाता है.