अमेरिका द्वारा भारत समेत कई देशों पर Tariff लगाएं जाने के बाद दुनियाभर के शेयर बाजारों (Stock Markets) में अनिश्चितता का माहौल है, जिसका असर भारत पर भी देखने को मिल रहा है. 11 April तक Foreign Portfolio Investors (एफपीआई) ने भारतीय शेयर बाजार (Indian stock market) से 31 हजार 575 करोड़ रुपए निकाल लिए हैं.

2025 में अब तक इतने लाख करोड़ की निकासी

वहीं, मार्च के आखिरी 6 कारोबारी सत्रों में विदेशी निवेशकों (foreign investors) ने करीब 30 हजार 927 करोड़ रुपए का निवेश किया था, जिससे मार्च का कुल शुद्ध बहिर्वाह (Effect of US tariff) घटकर 3 हजार 973 करोड़ रुपए रह गया. इससे पहले एफपीआई ने फरवरी में 34 हजार 574 करोड़ रुपए और जनवरी में 78 हजार 027 करोड़ रुपए (Effect of US tariff)  की भारी निकासी की थी.

इस संबंध में March में कुछ राहत देखने को मिली थी, लेकिन April में स्थिति फिर से खराब होती दिख रही है. डिपॉजिटरी डेटा (depository data) के अनुसार, वर्ष 2025 की शुरुआत से अब तक एफपीआई (FPI) ने कुल 1.48 लाख करोड़ रुपए निकाले हैं.

एक्सपर्ट ने कही ये बात

जियोजित इन्वेस्टमेंट के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वीके विजय कुमार ने कहा, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की ‘पारस्परिक टैरिफ’ नीति से वैश्विक बाजार में मची तबाही का असर भारत जैसे उभरते बाजारों पर भी दिख रहा है.

उन्होंने आगे कहा कि जब तक यह वैश्विक अनिश्चितता बनी रहेगी, एफपीआई की रणनीति में स्थिरता नहीं आएगी. हालांकि, उनका यह भी मानना ​​है कि जैसे ही वैश्विक स्थिति स्थिर होगी, विदेशी निवेशक फिर से भारत की ओर लौट सकते हैं.

मध्यम अवधि में लौट सकते हैं विदेशी निवेशक

उन्होंने कहा, “मध्यम अवधि में एफपीआई फिर से भारत में निवेशक बन सकते हैं, क्योंकि मौजूदा व्यापार युद्ध के कारण अमेरिका और चीनी अर्थव्यवस्थाएं धीमी पड़ने की कगार पर हैं.

इस मुश्किल दौर में भी भारत वित्त वर्ष 2025-26 में 6 प्रतिशत की वृद्धि दे सकता है. इसके अलावा कॉरपोरेट आय में भी सुधार की उम्मीद है, जो निवेशकों को फिर से आकर्षित कर सकती है.”

डेट जनरल और वीआरआर से भी निकासी

इस बीच, वेंचुरा के रिसर्च हेड विनीत बोलिनकर ने कहा कि अमेरिकी टैरिफ नीति और भू-राजनीतिक जोखिम इस बिकवाली के मुख्य कारण हैं. लेकिन उन्होंने भारत की मजबूत घरेलू आर्थिक बुनियाद और बढ़ती घरेलू मांग को लंबी अवधि में सकारात्मक संकेत बताया.

आपको बता दें कि विदेशी निवेशकों द्वारा की गई बिकवाली सिर्फ इक्विटी तक ही सीमित नहीं रही. उन्होंने डेट जनरल लिमिट से 4,077 करोड़ रुपये और वॉलंटरी रिटेंशन रूट (वीआरआर) से 6,633 करोड़ रुपये भी निकाले हैं.