रायपुर। रायपुर शहर जिलाध्यक्ष कौन होगा. इस बात को लेकर अटकलों का बाज़ार गर्म है. इस बात की चर्चा ज़ोरों पर है कि विकास उपाध्याय की जगह एजाज़ ढेबर ले सकते हैं. एजाज़ ढेबर और विकास दूबे अब इस रेस में सबसे आगे बताए जा रहे हैं.
कांग्रेस में दो बातें तय मानी जा रही हैं भूपेश बघेल की मर्जी से जिलाध्यक्ष चुना जाएगा. दूसरा, जो चुनाव लड़ने का दावेदार है वो इस पद पर नहीं होगा. चूंकि एजाज़ ढेबर भूपेश बघेल के चहेते और विश्ववसीय हैं. रायपुर में हुए कई कार्यक्रमों में भूपेश एजाज़ ढेबर को आज़मा चुके हैं. वे भीड़ जुटाने में माहिर है. जब भी रायपुर में बड़े प्रदर्शन हुए हैं एजाज़ ने जबर्दस्त तरीके से भीड़ जुटाई है. जिस तर्ज पर विकास उपाध्याय भीड़ जुटाते रहे हैं. इसके अलावा वे गैर ब्राह्मण यानि मुस्लिम सुमदाय से हैं. संगठन के जो प्रतिनिधि रायपुर से बनने वाले हैं उनमें ज़्यादातर ब्राह्मण हैं. एजाज़ मुस्लिम हैं इस तरह से जाति समीकरण में वे फिट हो रहे हैं.
विकास दुबे के साथ सबसे बड़ा एडवांटेज है कि वो भूपेश से लेकर शैलेष नितिन त्रिवेदी और प्रमोद दुबे के करीबी हैं. विकास के नाम पर रायपुर के बड़े नेता भी विरोध नहीं करेंगे. अगर बड़े नेताओं के बीच असहमत की बात आती है तो कोई और नाम भी सामने आ सकता है.
इससे पहले महेंद्र छाबड़ा के नाम की चर्चा थी लेकिन महेंद्र छाबड़ा रायपुर उत्तर से अपनी दावेदारी चाहते हैं. लिहाज़ा वो इस रेस में अब पीछे हो चले हैं. सुत्रों के मुताबिक महेंद्र छाबड़ा के नाम की चर्चा एक मीटिंग में हुई थी लेकिन महेंद्र छाबड़ा ने प्रदेश अध्यक्ष के सामने चुनाव की दावेदारी पेश कर अध्यक्ष न बनने का संकेत पहुंचा दिया. हांलाकि, अनुशासन में संगठन के लिहाज़ से माहिर माने जाने वाले महेंद्र छाबड़ा के नाम पर बड़े नेताओं में सहमति बन जाए तो उन्हें ये ज़िम्मेदारी उठानी पड़ सकती है. हांलाकि, कन्हैया अग्रवाल भी अपनी दावेदारी ठोंक रहे हैं. उन्हें रायपुर के कुछ नेताओं का समर्थन हासिल है.
हांलाकि लोकसभा चुनाव में जिस तरीके से छाया वर्मा को पहले उम्मीदवार बना कांग्रेस ने सबको चौंका दिया था वैसा बड़े नेताओं की सहमति के नाम पर नए नाम से चौंका दे तो कोई आश्चर्य नहीं.