पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबन्द. एकलव्य आवासीय विद्यालय में सड़क पर उतरे छात्रों ने आदिवासी विकास विभाग की एक और पोल खोली. अफसर का चहेता अधीक्षक छात्रों की सुविधा में डंडी मारता था. लेकिन इसकी शिकायत के बाद भी महीनों से वह अधीक्षक अपने पद पर जमा हुआ था. इस पर आज जब सड़क पर उतरे छात्रों ने आवाज उठाई तो आनन-फानन में अधीक्षक को हटा दिया गया.

जिले के आदिवासी विकास विभाग में निर्माण कार्यो में नामचीन बाबू का मसला अभी ठंडा नहीं हुआ है कि विभाग की एक और खामी उजागर हो गई. इस बार विभाग के चहते अधीक्षक और प्राचार्य के दोहरे पदधारी की कलाई खुल गई है. कोसूमबुड़ा में आदिवासी जनजाति छात्रों को आवासीय निःशुल्क बेहतर शिक्षा देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा एकलव्य आवासीय विद्यालय खोला गया है. यहां के बालक छात्रावास में भर्ती 159 छात्रों में से करीब 100 छात्र आज सुबह छात्रावास से बाहर निकलकर धरने पर बैठ गए.

छात्रों ने खोली सारी पोल

छात्र प्राचार्य प्रदीप जाटवर के खिलाफ जमा होकर हटाने की मांग करते रहे. हाथ में खाने का बर्तन लेकर जमकर नारेबाजी भी करते रहे. मामले की भनक लगते ही कलेक्क्तर प्रभात मलिक ने डिप्टी कलेक्टर पूजा बंसल के साथ आदिवासी सहायक आयुक्त बद्रीनाथ सुखदवे को मौके के लिए भेजा. छात्रों ने पहुंचे हुए अफसर के सामने अव्यवस्था की सारी कलई खोल दी. भोजन में मेनू की अनदेखी, साबुन तेल जैसे जरूरी सामग्री में कटौती, गंदगी, रखरखाव से लेकर एक-एक लापरवाही को अफसरो के सामने गिनाया. छात्रों ने बताया कि पहले से इन समस्याओं को लेकर जिम्मेदारों को अवगत कराते आए हैं. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

नए प्राचार्य की नियुक्ति का आदेश

पूजा बंसल के आश्वसन के बाद 4 घंटे से धरने पर बैठे किसी तरह छात्र अंदर जाने को राजी हुए. बताया जा रहा है कि इस हंगामे के बाद सहायक आयुक्त ने कुलेश्वर मरकाम को नए प्राचार्य के रूप में नियुक्त करने का आदेश जारी किया है. हालांकि इस संबंध में अफसरों ने पुष्टि नहीं की है. मामले में पक्ष जानने के लिए सहायक आयुक्त बद्रीनाथ सुखदवे से संपर्क किया गया, लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी. डिप्टी कलेक्टर पूजा बंसल ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि बच्चों ने जिन समस्या को गिनाया उसका समाधान कर दिया गया. स्किन डिसीज से पीड़ित 40 से भी ज्यादा बच्चों का इलाज कराया गया है.

अफसर प्रिय अधीक्षक के पास दो छात्रावास में है दोहरी भूमिका

प्रदीप जाटवर के पास कोसूमबूड़ा के अलावा देहारगुड़ा एकलव्य का भी प्रभार है. दिसम्बर 2021 को संस्था खुलने के बाद से अफसर प्रिय इस लेक्चरार के पास दो जगह के प्राचार्य और अधीक्षक की दोहरी जवाबदारी है. 7 महीने पहले कोसुमबुड़ा के बालक आवासीय विद्यालय के लिए लता कन्नौजे की नियुक्ति हुई हैं, बावजूद इस महिला अधीक्षक को प्राचार्य ने उसके हिस्से का वित्तिय प्रभार नहीं दिया है. मैनपुर में भी इसी तरह दोनों वर्ग के छात्रावास में जाटवर की बादशाहत कायम है. इतना ही नहीं जाटवर के खिलाफ मुंह खोलने वाले सहकर्मियों को किसी न किसी तरह से कार्रवाई का सामना करना पड़ जाता है. देहारगुड़ा में अगस्त 2022 से नागेंद राणा को अधीक्षक बनाया गया है. लेकिन कुसुमबूड़ा छात्रावास में बालक-बालिका अधीक्षक के अलावा प्राचार्य के वित्तीय प्रभार को हथियाने वाले इस लेक्चरार ने मैनपुर के अधीक्षक को उसके शाखा का वित्तीय प्रभार नहीं दिया है. जिस प्रिंसिपल को अध्ययन अध्यापन की संपूर्ण जवाबदारी संभालना था, उसे आदिवासी विकास के अफसरों ने एकलव्य का सभी लेखा जोखा थमा रखा है.

आदिवासी दिवस के दिन जांच का ज्ञापन सौपेगा समाज

आदिवासी महिला नेत्री और जिला पंचायत की सभापति लोकेश्वरी नेताम जाटवर के अफसर प्रेम को लेकर हैरान है. लोकवश्वरी नेताम ने कहा कि प्राचार्य पद अहम जिम्मेदारी का काम है. किसी भी एक संस्था में रह कर 8 घण्टे उस संस्था को समय देना होता है. लिखित और बार-बार मौखिक मांग के बावजूद जाटवर आदिवासी विकास विभाग का मोह नहीं छोड़ पाए हैं. जिसका खामियाजा आदिवासी छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ रहा है. जिला पंचायत के सामान्य सभा में भी अफसर गोलमोल जवाब दे रहे हैं. लोकेश्वरी ने बताया कि 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के दिन आदिवासी विकास विभाग में किये जा रहे समस्त अनियमितता की जांच के लिए कलकेक्टर को ज्ञापन सौपेंगे.

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