जयपुर का अनूठा है ये एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर, जो साल में सिर्फ शिवरात्रि के दिन ही खुलता है. मोती डूंगरी शिव मंदिर की दीवारे जहां गुलाबी नगर के इतिहास की अनेक गाथाएं छुपाएं हैं. वहीं एक और विशेषता इस मंदिरों से अलग बनाती हैं. सालभर भक्त मंदिर के खुलने की प्रतिक्षा देखते हैं लेकिन लगातार दो सालों से मंदिर आम भक्तों के लिए नहीं खुला गया. इस पर भी ये ही खबर आ रही है कि इस कोविड के कारण शिवालय को नहीं खोला जाएगा.

जयपुर स्थित जेएलएन मार्ग पर बिरला मंदिर के पीछे मोती डूंगरी पर अपने गौरवशाली इतिहास के लिए सीना ताने खड़े शिव मंदिर शंकर गढ़ी के द्वार खुलने का भक्त एक साल तक इन्तजार करते है. इस मंदिर को अंत्यन्त चमत्कारी माना जाता है. यह मंदिर जयपुर की स्थापना से भी पहले बानया गया था. मंदिर में सिर्फ भोलेनाथ शिवलिंग के रुप में विराजमान है. यह भी कहा जाता है कि पहले शिव के साथ शिव परिवार की स्थापना की थी लेकिन कुछ समय बाद उनकी प्रतिमाएं गायब हो गई थी. Read More – वैलेंटाइन डे : वॉट्सएप के इन खास स्टिकर्स से करें अपने प्यार का इजहार…

इसके पश्चात फिर शिव परिवार की स्थापना की गई लेकिन एक बार फिर शिव परिवार अदृश्य हो गया. किवदंती है कि मोती डूंगरी मंदिर में जब भी महादेव के साथ परिवार की मूर्तियां स्थापित की थीं. तब वह बाहर पहाड़ी पर मिलीं. तबसे अकेले महादेव ही यहां विराजित हैं. इस घटना के बाद किसी ने फिर मूर्तियों को स्थापित करने का साहस नहीं किया. यहां राज परिवार की ओर से पूजा-अर्चना की जाती थी. यह मंदिर साल में एकबार ही खुलता है इसलिए शिवरात्रि के दिन इसके प्रति श्रद्धालुओं में विशेष आकर्षण होता है. करीब एक किलोमीटर की चढ़ाई कर एवं कई घंटों तक लाइन में लग कर लोग यहां भगवान के दर्शन के लिए आते हैं.

जुटती है श्रद्धालुओं की भारी भीड़

इस मंदिर में दर्शन करने के लिए शिवरात्रि के दिन बहुत लंबी लाइन लग जाती है. लगभग दो किलोमीटर की लाइन हो जाती है. मंदिर में दर्शन करने वालों की बाहर सड़क तक भीड़ होती है. इस दौरान लोगों का उत्साह देखते ही बनता है. जयपुर शहर के साथ दूर-दूर से लोग दर्शन करने के लिए आते हैं. Read More – Valentine’s Day के दिन ही मनाया जाता है मातृ-पितृ पूजन दिवस, जानिए इसकी कहानी …

शाही परिवार करता है पूजा

एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर शाही परिवार के स्वामित्व वाला मंदिर है. पहले पूर्व महाराजा मानसिंह, राजमाता गायत्री देवी, उनक बेटे महाराज जगत सिंह और महाराज पृथ्वीराज अलग-अलग समय में मोती डूंगरी में निवास करते थे और इस मंदिर में पूजा करते थे. शाही परिवार की सत्ता के समय एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर में शिवजी की पूजा की जाती थी.