रायपुर। तस्वीर में नजर आ रहे बुजुर्ग कोंड्या हैं, यह बुजुर्ग कैसे रायपुर और फिर मेकाहारा पहुंचा इसके पीछे लंबी कहानी है, लेकिन उसका मर्म यह है कि एक युवक के प्रयास से उसे अपने परिजन मिल गए हैं, लेकिन समस्या बुजुर्ग को घर छोड़ने की है, जिसके लिए आर्थिक मदद की दरकार है, ऐसे में अगर आप सक्षम हैं, तो इस बुजुर्ग की मदद कर अपनी पत्नी और बच्चों से मिलने के लिए हाथ बढ़ाएं…

आइए अब बुजुर्ग की बात कहते हैं. इन्हें 31 मार्च को आश्रय स्थल में लाया गया था. उनका नाम उच्चारण या सुनने में गलती से पांड्या, विशाखापट्नम लिखा हुआ था. 14 अप्रैल को कोंड्या की तबियत ख़राब हुई और उसे मेकाहारा में एडमिट कराया गया. कोंड्या को उसके किसी भी परिवार के सदस्य का फ़ोन नंम्बर याद नहीं था. ऐसे में खिलेश्वर निषाद ने बहुत प्रयास कर उससे यह पता किया कि उसका कोई रिश्तेदार या परिचित पावर हाउस भिलाई के पानी टंकी के सामने है, और उसका नाम गणेश है.

इस आधे अधूरे परिचय को दुर्ग के प्रशासन में भी भेजा गया और एक साथी को भी, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला. इस बीच कोंड्या की हालत और बिगड़ने लगी. वह नाराज होकर इंजेक्शन लगाने और दवाई लेने से इंकार करने लगे. तब डॉक्टर्स और नर्सेज ने भी कहा कि परिवार के सदस्यों को ढूंढना ही उचित है. वह बेहोशी में या नींद में पत्नी और बेटियों को याद करता था.

खिलेश्वर ने इन सब स्थितियों को देखकर स्वयं पावर हाउस चला गया, जहां उसने कोंड्या की फोटो लगाकर अपना नंबर देते हुए रिश्तेदार का विवरण लिखा हुआ पेपर लेकर निकला. संबंधित थाने में जानकारी देने के बाद उसने आसपास के मकानों में कुछ जानकारों से मिलकर फोटो को कुछ दीवारों में चिपका कर निकला ही था कि गणेश का फ़ोन आ गया.

गणेश की मुलाकात खिलेश्वर से हुई, फिर उसे लेकर मेकाहारा पहुंचे. गणेश को देखकर कोंड्या की ख़ुशी के बारे में कहने की जरुरत नहीं. गणेश ने कोंड्या की बेटी रेखा से बात करवाई. रेखा फ़ोन पर ही रोने लगी. उसने बताया कि एक माह से पिताजी को ढूंढ रहे है. विशाखापत्तनम से बोलकर गए थे कि 2 दिन में आ जाऊंगा, लेकिन न जाने कहां निकल गए. कितनी जगह फ़ोन लगाए. पता ही नहीं चला. रेखा ने अनुरोध किया कि उनके पिताजी को विशाखापट्नम भेज दीजिये. वे इलाज करवा लेंगे. मां की परेशानी के बारे में भी बताया.

अब सभी प्रयासरत हैं कि कोंड्या घर पहुंच जाएं, लेकिन आर्थिक तंगी इसमें आड़े आ रही है. फिलहाल खिलेश्वर कोंड्या को विशाखापट्नम पहुंचाने के लिए एम्बुलेंस के लिए प्रायोजक ढूंढ रहा है. अगर आपको लगता है कि आप बुजुर्ग कोंड्या को पहुंचाने में सहयोग कर सकते हैं, तो जरूर करें…