बलौदाबाजार। नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तारीख तय होने के साथ बलौदाबाजार-भाटापारा जिले में भी राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है. जिले में तीन नगर पालिका, पांच नगर पंचायत और पांच जनपद पंचायत शामिल हैं.

आइए जानते हैं कि 2019-20 के चुनाव में जिले में किस तरह का सियासी समीकरण था. 2019-20 के चुनाव के दौरान प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी. लिहाजा भाजपा पर कांग्रेस भारी पड़ी थी.

बलौदाबाजार नगर पालिका, कुल वार्ड 21

भाजपा – 13
कांग्रेस – 08

अध्यक्ष – चितावर जायसवाल – भाजपा

भाटापारा नगर पालिका, कुल वार्ड 31

कांग्रेस – 16
भाजपा – 15

अध्यक्ष – सुनीता गुप्ता – कांग्रेस
उपाध्यक्ष – त्रिलोक सलूजा – कांग्रेस

सिमगा नगर पालिका, कुल वार्ड 15

कांग्रेस – 07
भाजपा – 04
निर्दलीय – 04

अध्यक्ष – भागवत सोनकर – कांग्रेस
उपाध्यक्ष – अविनाश दास – कांग्रेस

टुंडरा नगर पंचायत, कुल वार्ड 15

कांग्रेस – 11
भाजपा – 03
निर्दलीय – 01

अध्यक्ष – मोतीराम साहू – कांग्रेस
उपाध्यक्ष – नंदकुमार साहू

कसडोल नगर पंचायत, कुल वार्ड 15

कांग्रेस – 06
भाजपा – 08
निर्दलीय – 01

अध्यक्ष – नीलुचंदन साहू – कांग्रेस
उपाध्यक्ष – रितिक मिश्रा

पलारी नगर पंचायत, कुल वार्ड 15

भाजपा – 07
कांग्रेस – 06
निर्दलीय – 02

अध्यक्ष – यशवर्धन वर्मा – भाजपा

बलौदाबाजार-भाटापारा जिला पंचायत, कुल संख्या 18

अध्यक्ष – राकेश वर्मा – कांग्रेस
उपाध्यक्ष – सरिता ठाकुर

बलौदाबाजार जनपद पंचायत, कुल संख्या 25

भाजपा – 13
कांग्रेस – 12

अध्यक्ष – सुमन योगेश वर्मा – भाजपा
उपाध्यक्ष – ईशान वैष्णव – भाजपा

भाटापारा जनपद पंचायत, कुल संख्या 25

कांग्रेस – 20
भाजपा – 05

अध्यक्ष – सुमित्रा वर्मा
उपाध्यक्ष – सुरेन्द्र वर्मा

सिमगा जनपद पंचायत, कुल संख्या 25

कांग्रेस – 20
भाजपा – 05

अध्यक्ष – वीणा आडिल – कांग्रेस
उपाध्यक्ष – विवेक अग्रवाल – कांग्रेस

पलारी जनपद पंचायत

अध्यक्ष – खिलेन्द्र वर्मा – कांग्रेस

कसडोल जनपद पंचायत, कुल संख्या 25

अध्यक्ष – सिद्धांत मिश्रा – निर्दलीय

बात करें बलौदाबाजार नगर पालिका की तो यहां भाजपा का, वहीं भाटापारा और सिमगा में कांग्रेस का वर्चस्व है. वहीं पलारी, रोहांसी, लवन, कसडोल, टुंडरा नगर पंचायत में 19-20 का भाजपा और कांग्रेस के बीच में अंतर है. बलौदाबाजार-भाटापारा जिला पंचायत की बात करें तो यहां अध्यक्ष पद पर कांग्रेसी काबिज है. रही बात पांच जनपद पंचायतों की तो यहां भी बात 19-20 की है, कहीं कांग्रेस तो कहीं भाजपा नेता अध्यक्ष-उपाध्यक्ष पद पर काबिज हैं.

आमतौर पर देखा गया है कि शहरी क्षेत्र में भाजपा का वर्चस्व होता है, तो नीचे पंचायत स्तर तक जाते-जाते कांग्रेस का प्रभुत्व नजर आने लगता है. लेकिन इसमें राज्य की सत्ता पर काबिज राजनीतिक दल का भी प्रभाव महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. पिछले बार के विपरित इस बार राज्य की सत्ता पर भाजपा काबिज है, ऐसे में क्या तस्वीर बदलेगी, इसको लेकर केवल कयास ही लगाए जा सकते हैं.