रायपुर. छत्तीसगढ़ में इन दिनों चुनावी सरगर्मियां तेज हैं. हर तरफ चुनाव की चर्चा है. लोकतंत्र के इस त्योहार से पहले दीपों का त्योहार दीपावली आ गया है. चुनावों के साथ-साथ दीपावली की भी रौनक हर जगह थी. मगर त्योहार और चुनाव दोनों के एक साथ आने से सरकारी कर्मचारियों का मजा किरकिरा हो गया है.

लोकतंत्र के त्योहार ने सरकारी कर्मचारियों की दीपावली में विघ्न डाल दिया. चुनावी ट्रेनिंग का ऐसा शेड्यूल बनाया गया है कि सरकारी कर्मचारी त्योहार की ख़ुशी छोड़ फर्ज निभाने को मजबूर हैं. चुनाव में ड्यूटी लगने की वजह से परिवार को समय दे पाना इनके लिए मुश्किल हो चुका है.

बस्तर में 31 अक्टूबर तक तीन बार ट्रेनिंग का आयोजन हो चुका है. तीन नवंबर को और धनतेरस के दिन भी ट्रेनिंग का कार्यक्रम था. दिवाली के लिए दो दिनों की छुट्टी है. दिवाली की मस्ती के बाद अगले ही दिन 8 नवंबर को अंतिम ट्रेनिंग होनी है. इस दिन पीठासीन अधिकारी अपने सहयोगी मतदान अधिकारी नंबर-एक, दो और तीन से मिलेंगे.

बस्तर में मतदान कराने के लिए पोलिंग पार्टी एक-दो दिन पहले पहुंच जाती है इस बार चुनाव आयोग ने भी चुनाव संपन्न कराने के लिए व्यापक इंतजाम किये हैं. बस्तर में चुनाव संपन्न कराना अपने आप में बड़ी चुनाती है. नक्सल प्रभावित इस इलाके में चुनाव प्रभावित करने या चुनाव बाधित करने की कोशिश करनेवाले किसी भी व्यक्ति को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए हैं.

कोंडागांव में 38 कंपनियां पहुंच चुकी हैं जबकि और कंपनियां अगले हफ्ते तक पहुँच जाएंगी. इसके अलावा नारायणपुर में 60 कपनियां तैनात करने की योजना है. चुनाव संपन्न कराने के लिए पैरामिलिट्री फोर्स की 160 से ज्यादा कंपनियां यानि करीब 16 हजार से ज्यादा जवान तैनात किये जाएंगे. इसमें शहर में शान्ति व्यवस्था बनाये रखने के लिए 80 कंपनियां तैनात की जाएंगी.

बता दें कि छत्तीसगढ़ में दो चरणों में चुनाव होने हैं. दक्षिणी छत्तीसगढ़ में पहले चरण में विधानसभा की 18 सीटों के लिए 12 नवंबर को जबकि उत्तरी छत्तीसगढ़ की 72 सीटों के लिए 20 नवंबर को चुनाव होने हैं. बसपा-सीजेसी गठबंधन ने इस बार कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं जो पिछले 15 साल से सत्ता वापसी की उम्मीद लगाए है.